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आखिरकार कब तक चलता रहेगा घोटाला

  • 200 करोड़ रुपयों का घोटाला

  • अस्पतालों को किसका संरक्षण मिल रहा

  • कारण बताओ नोटिस

(नेशनल डेस्क)मप्र में आयुष्मान भारत योजना से संबद्ध 121 निजी अस्पतालों ने 200 करोड़ रुपयों का घोटाला किया है। इनमें इंदौर, भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर सहित प्रदेश के  निजी अस्पताल भी शामिल हैं। लेकिन इनमें से मात्र 3 अस्पतालों के खिलाफ ही एफआईआर दर्ज कराई गई है, जबकि 118 अस्पतालों पर मामूली दंड लगाकर उन्हें अभयदान दे दिया गया है। ऐसे में सवाल उठने लगा है की इन घोटालेबाज अस्पतालों को किसका संरक्षण मिल रहा है।

गौरतलब है कि लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा तैयार कराई गई एक जांच रिपोर्ट में यह मामला सामने आया है कि किस तरह आयुष्मान योजना में फर्जीवाड़ा किया गया है। स्वास्थ्य विभाग अब इन निजी अस्पतालों पर अर्थदंड लगाकर वसूली कर रहा है। दरअसल गरीब मरीज के उपचार में सहायक बनी आयुष्मान योजना को अस्पताल संचालकों ने कमाई का जरिया बना लिया है। इसमें उनका साथ दिया स्वास्थ्य अधिकारियों ने। जिन्होंने नियमों को ताक पर रखकर आयुष्मान योजना में पंजीयन कराने की सहमति दी। सांठगांठ से आयुष्मान योजना में पंजीयन कराने वाले अस्पताल अब बिलों में गड़बड़ी कर शासन का पैसा डकार रहे हैं और मरीजों की जान से खिलवाड़ भी कर रहे हैं। क्योंकि इन अस्पतालों में नियमानुसार न तो डाक्टर मौजूद हैं और नहीं नर्सिंग स्टाफ , हकीकत तो यह है कि बेड भी पूरे नहीं है।

कई अस्पतालों ने बिना गंभीर बीमारी के मरीज को भर्ती किया। इसमें भी सामान्य वार्ड की जगह बिना आवश्यकता के आईसीयू में रखा। इसके बाद भी कार्रवाई के नाम पर सिर्फ संबद्धता खत्म की गई। कुछ अस्पतालों ने जिस उपचार पैकेज के लिए अस्पताल की संबद्धता नहीं थी, उसके बाद भी मरीज को भर्ती कर इलाज किया। इस पर स्टेट हेल्थ एजेंसी ने मामूली अर्थदंड लगाकर और कारण बताओ नोटिस देकर छोड़ दिया।

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