- विपक्षी दलों ने किया प्रश्नकाल निलंबन का विरोध
रक्षामंत्री ने कहा प्रश्नकाल नहीं होने पर भी सदस्य कर सकते हैं सरकार से सवाल
संसदीय कार्यमंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा नहीं भाग रहे विपक्ष के सवालों से
कांग्रेस नेता अधीर रंजन बोले प्रश्नकाल हटाकर सरकार कर रही है लोकतंत्र की हत्या
नेशनल डेस्क: कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दलों के विरोध के बीच सरकार ने संसद के मानसून सत्र के दौरान प्रश्नकाल एवं गैर सरकारी कामकाज के निलंबन से जुड़े प्रस्ताव सोमवार को लोकसभा में रखा जिसे मंजूरी प्रदान कर दी गई। विपक्षी दलों ने प्रश्नकाल के निलंबन का विरोध किया और सरकार पर सवालों से बचने का आरोप लगाया जिस पर सरकार ने कहा कि यह असाधारण परिस्थिति है जिसमें राजनीतिक दलों को सहयोग करना चाहिए।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इस सत्र के दौरान प्रश्नकाल और गैर सरकारी कामकाज नहीं रखने पर अधिकतर दलों के नेताओं ने सहमति दी थी और प्रश्नकाल नहीं होने पर भी सदस्य सरकार से सवाल कर सकते हैं। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि सरकार सवालों से भाग नहीं रही है और वह सभी सवालों का जवाब देने के लिए तैयार है। सदन ने प्रश्नकाल और गैर सरकारी कामकाज के निलंबन से जुड़े प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की। संसदीय कार्य मंत्री ने जब यह प्रस्ताव रखा तो सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि प्रश्नकाल ‘स्वर्णकाल’ होता है और इसे सदन की आत्मा भी कहा जा सकता है। यह सरकार की जवाबदेही के लिए होता है। उन्होंने आरोप लगाया कि आजादी के 73 साल के बाद सरकार प्रश्नकाल हटाकर लोकतंत्र का गला घोंटने का काम कर रही है। एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस के मनीष तिवारी और तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी ने भी इस प्रस्ताव का विरोध किया।
मानसून की नयी व्यवस्था को लोकसभा की मंजूरी
सत्रहवीं लोकसभा के चौथे सत्र के पहले दिन कार्यवाही आरंभ होने पर सबसे पहले दिवंगत सदस्य एवं पूर्व सदस्यों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ ही एक घंटे के लिए स्थगित कर दी गई। करीब सवा दस बजे सदन पुन: समवेत हुआ। अध्यक्ष ओम बिरला ने एक वक्तव्य में कहा कि असाधारण परिस्थितियों में हो रहे इस सत्र में संसद के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा जब लोकसभा के सदस्य राज्यसभा के चैंबर और दर्शक दीर्घाओं में भी बैठेंगे जिनके माध्यम से देश की जनता संसद की कार्यवाही देखा करती है। यह प्रयास एवं सुरक्षा इंतजाम सांसदों के बीच शारीरिक दूरी बनाये रखने के उद्देश्य से किया गया है। संसद की कार्यवाही का डिजीटलीकरण किया गया है। मोबाइल ऐप के जरिये उपस्थिति दर्ज करायी जा सकती है, ऑनलाइन प्रश्न पूछे जा सकते हैं और उनके उत्तर पाये जा सकते हैं।
बिरला ने कहा कि सुरक्षा प्रोटोकॉल को लेकर सदस्यों को तकलीफ होने की शिकायतें आयीं हैं लेकिन ये सब उनकी सुरक्षा के लिए है। उन्होंने कहा कि संसद भारत की 130 करोड़ जनता की आशा आकंक्षाओं का प्रतीक है और यहां से जनता की प्रगति एवं उत्कर्ष तय होता है। देश की जनता ने कोरोना की महामारी से निपटने में अछ्वुत एकता एवं सकारात्मकता का परिचय दिया है। केन्द्र राज्य एवं सभी पक्षों के साथ मिल कर हम सब कोरोना पर शीघ्र ही विजय प्राप्त करेंगे। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी से बचने के उद्देश्य से इस बार सदन के संचालन में कुछ बदलाव किये गये हैं। यह फैसला हुआ है कि सदन की कार्यवाही केवल चार घंटे होगी। सदस्य सीट पर बैठकर ही बोलेंगे। लोकसभा चेंबर, राज्यसभा चेंबर लोकसभा दर्शक दीर्घा और राज्यसभा दर्शक दीर्घा में विभिन्न दलों को सीटें आवंटित कर दी गयीं हैं और यह दलों पर निर्भर करता है कि वे अपने किस सदस्य को कहां बैठाते हैं। उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था के लिए नियम 384 को शिथिल करने का प्रस्ताव है जिससे राज्यसभा के सदस्यों को लोकसभा के चेंबर में बैठने की अनुमति होगी।