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महालक्ष्मी व्रत समापन: इस विधि से देवी लक्ष्मी की मूर्ति विसर्जन

  •  आज है महालक्ष्मी व्रत का समापन,
  • क्या है इसकी पूजा विधि, मुहूर्त, मंत्र एवं महत्व
  • जानिए इनकी उपासना के खास मंत्र

धर्म डेस्क: आज अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को 16 दिन जय महालक्ष्मी व्रत का समापन हो जाएगा। बता दें महालक्ष्मी के इस व्रत की शुरुआत प्रत्येक वर्ष भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की अष्टमी विदेश से होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पूरे 16 दिन महालक्ष्मी की विधि विच पूजा करने का विधान है। कहा जाता है कि इनकी पूजा से छात्र के जीवन में सुख समृद्धि वैभव का आगमन होता है मान्यता है कि जो लोग पूरे 16 दिन व्रत ना कर पाए वह केवल इसके पहले और अंतिम दिन से व्रत कर सकते हैं।  जानते हैं इस व्रत का महत्व तथा पूजन विधि वम मंत्र आदि-

महालक्ष्मी व्रत के महत्व की बात करें तो मान्यताओं के अनुसार कुछ लोगों से 16 जून तक यह व्रत रखना संभव नहीं हो पाता ऐसे में महालक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए इन 16 दिनों में से सबसे पहले, 8 दिन तथा अंतिम दिन व्रत किसा ज सकता है। क्योंकि देवी लक्ष्मी को धन की देवी कहा जाता है इसलिए इनकी पूजा से धन-संपदा. समृद्धि  ऐश्वर्य साथ ही साथ संतान की प्राप्ति  के योग होती है। इसके अलावा इस दिन महालक्ष्मी की पूजा आदि करते हैं से बिजनेस में मुनाफा होता है तथा नौकरी में तरक्की के आसार बनते हैं।

महालक्ष्मी मंत्र
श्री लक्ष्मी बीज मन्त्र: “ॐ श्रींह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नम:।।”
श्री लक्ष्मी महामंत्र: “ॐ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।”
पूजा के समय आप महालक्ष्मी के इन दो मंत्रों में से किसी एक का जाप कर सकते हैं।

महालक्ष्मी व्रत एवं पूजा विधि
मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए प्रातः की तरह उठकर स्नान आदि ोकर राणा के समस्त समस्त प्रकार के कार्य से निवसत हो कर सबसे पहले मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें। अब पहले दिन  हाथ पर बांधने रक्षा सूत्र को खोल कर किसी नदी यहां सरोवर में विसर्जित करने के लिए रख दें। पूजा के दौरान इन्हें अक्षत, दुर्गा, लाल सूत, सुपारी, नारियल, मिठाई, चंदन, पत्र माला,सफ़ेद कमल या कोई और कमल का फूल तथा कमलगट्टा अर्पित करें। इसके बाद देवी लक्ष्मी को सफेद बर्फी या किशमिश का भोग लगाएं। व्रत के दिन श्रद्धा भाव से महालक्ष्मी व्रत कथा सुनें।  इसके बाद महालक्ष्मी की आरती का गुणगान करते हुए उनसे अपनी समस्त मनोकामना की पूर्ति के लिए उनसे प्रार्थना करें। आखिर में सभी परिजनों में प्रसाद वितरित कर अंत में विधि पूर्वक माता लक्ष्मी की प्रतिमा का विसर्जन कर  पूरा करें ।

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