महाराष्ट्र में सियासी भूचाल के संकेत
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिकी निगाहें
अजित पवार कर सकते हैं बड़ा खेल
Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में इन दिनों सियासी उठापटक काफी तेज हो गई है। भाजपा और शिवसेना शिंदे गुट के साथ ही एनसीपी में भी सियासी हलचल काफी तेज दिख रही है। शिंदे गुट के विधायकों के संबंध में सुप्रीम कोर्ट की ओर से फैसला सुरक्षित रखे जाने के बाद अब सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट के रुख पर टिकी हुई है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला महाराष्ट्र की सियासत पर बड़ा असर डालने वाला साबित होगा। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का कहना है कि राज्य में किसी भी समय चुनाव हो सकते हैं।
दूसरी ओर एनसीपी के नेता अजित पवार के भावी सियासी रुख को लेकर भी अटकलों का बाजार गरम बना हुआ है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में अजित पवार कोई बड़ा खेल कर सकते हैं। अजित पवार के भाजपा से हाथ मिलाने की स्थिति में एनसीपी मुखिया शरद पवार की मुश्किलें बढ़नी तय मानी जा रही हैं। राज्य के मौजूदा सियासी हालात ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की चिंताएं भी बढ़ा दी हैं।
अजित पवार को साधने में जुटी है भाजपा
जानकार सूत्रों का कहना है कि महाराष्ट्र में भावी सियासी उथल-पुथल के मद्देनजर भाजपा ने एनसीपी के नेता अजित पवार से संपर्क साध रखा है। अजित पवार की नजदीकियां भाजपा से बढ़ गई हैं और वे ऐसा बयान दे रहे हैं जो आने वाले दिनों में एनसीपी की मुश्किलें बढ़ा सकता है। पार्टी के मुखिया शरद पवार को भी इस बात का एहसास हो चुका है कि पार्टी में कोई बड़ी उठापटक हो सकती है। शरद पवार का है कि यदि कोई पार्टी से बाहर निकलता है, यह उसका व्यक्तिगत फैसला होगा और इसमें मैं क्या कर सकता हूं।
जानकार सूत्रों का कहना है कि भाजपा ने अजित पवार से इसलिए संपर्क साथ रखा है ताकि अदालती फैसले के कारण यदि सरकार प्रभावित होती है तो सरकार को बचाए रखने के लिए नए विकल्पों का रास्ता खुल सके। यदि सुप्रीम कोर्ट का फैसला शिंदे गुट के 16 विधायकों के खिलाफ जाता है तो भाजपा को सरकार बचाने के लिए अजित पवार का सहारा लेना पड़ेगा। यही कारण है कि भाजपा अजित पवार का समीकरण साधने की कोशिश में जुटी हुई है।
अजित पवार के लिए समर्थन जुटाना आसान नहीं
वैसे अजित पवार के लिए भी एनसीपी में दो तिहाई विधायकों का समर्थन जुटा पाना आसान नहीं माना जा रहा है। पार्टी के मुखिया शरद पवार भाजपा को समर्थन दिए जाने के खिलाफ है। अजित पवार को पार्टी के कुछ विधायकों का समर्थन बताया जा रहा है मगर पार्टी के अधिकांश विधायक शरद पवार के खिलाफ जाने के इच्छुक नहीं बताए जा रहे हैं। ऐसी स्थिति में अजित पवार के लिए पार्टी के दो-तिहाई विधायकों को तोड़ना काफी मुश्किल माना जा रहा है।
दूसरी ओर शिंदे गुट भी भाजपा की ओर से एनसीपी को तोड़ने की इन कोशिशों को लेकर असहज दिख रहा है। सियासी समीकरण बिगड़ने की स्थिति में भी शिंदे गुट अजित पवार का समर्थन लेने के पक्ष में नहीं है। यही कारण है कि भाजपा अंदरूनी तौर पर अपनी मुहिम में जुटी हुई है। हालांकि भाजपा नेता सार्वजनिक तौर पर ऐसी किसी मुहिम से इनकार करते हैं। पार्टी की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले का कहना है कि उनकी लंबे समय से अजित पवार से कोई मुलाकात नहीं हुई है।
गठबंधन को लेकर शरद पवार का बड़ा बयान
महाराष्ट्र में सियासी उठापटक के बीच एनसीपी के मुखिया शरद पवार का एक बयान भी सियासी नजरिए से काफी अहम माना जा रहा है। उनका कहना है कि मौजूदा समय में वे महाविकास अघाड़ी गठबंधन के साथ हैं और आगे भी बने रहना चाहते हैं मगर इच्छा के आधार पर ही सबकुछ नहीं होता।
उन्होंने साफ तौर पर कहा कि अगले चुनाव के दौरान वे महाविकास अघाड़ी गठबंधन में शामिल उद्धव गुट और कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव मैदान में उतरेंगे, यह बात अभी निश्चित रूप से नहीं कही जा सकती।