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Navratri 7th Day Maa Kaalratri: सातवें दिन होती है मां कालरात्रि की पूजा, जानें विधि मंत्र

  • नवरात्रि के सातवें दिन मां काली की पूजा 

  • जानें मां काली की पूजा विधि, मंत्र, भोग और आरती

  • माता कालरात्रि को प्रिय भोग, रंग और फूल 

Navratri Day 7 Maa Kaalratri: नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इस साल 2 अक्टूबर को मां दुर्गा के सातवें रूप मां कालरात्रि की पूजा होगी। बता दे मां कालरात्रि का शरीर अंधकार की तरह काला है। वहीं मां कालरात्रि के चार हाथ हैं और हाथों में खड्ग, लौह शस्त्र, वरमुद्रा और अभय मुद्रा है। तो आइए जानते हैं मां कालरात्रि की स्वरूप, पूजा- विधि, मंत्र, भोग, आरती, कथा और शुभ मुहूर्त

मां कालरात्रि का स्वरूप

मां कालरात्रि के स्वरूप के बारे में बात करें तो मां कालरात्रि का शरीर अंधकार की तरह काला है। मां के बाल लंबे और बिखरे हुए हैं और मां के गले में माला है जो बिजली की तरह चमकते रहती है। वहीं मां कालरात्रि के चार हाथ हैं। और मां के हाथों में खड्ग, लौह शस्त्र, वरमुद्रा और अभय मुद्रा है। बता दे मां कालरात्रि का एक नाम शुभंकरी भी है। मां कालरात्रि की पूजा भूत, प्रेत या बुरी शक्ति का भय, शत्रु और विरोधियों को नियंत्रित करने के लिए मां कालरात्रि की पूजा अचूक मानी जाती है।

माता कालरात्रि की पूजा विधि 

मां कालरात्रि की पूजा करने के लिए सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें। फिर मां की प्रतिमा को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं। फिर मां को लाल रंग के वस्त्र अर्पित करें। दरअसल धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां को लाल रंग पसंद है। अब मां को स्नान कराने के बाद पुष्प अर्पित करें। फिर मां को रोली कुमकुम लगाएं। अब मां को मिष्ठान, पंच मेवा, पांच प्रकार के फल अर्पित करें। फिर मां कालरात्रि को शहद का भोग अवश्य लगाएं। अब मां कालरात्रि का अधिक से अधिक ध्यान करें। फिर मां की आरती करें। दरअसल मां कालरात्रि की पूजा- अर्चना करने से सभी तरह के संकटों से मुक्ति मिलती है। इतना ही नहीं

मां कालरात्रि की कृपा से बुरी शक्तियों का प्रभाव समाप्त हो जाता है और मां कालरात्रि दुष्टों और शत्रुओं का संहार करने वाली हैं। बता दे मां कालरात्रि की पूजा- अर्चना करने से तनाव भी दूर हो जाता है।

माता कालरात्रि पूजा शुभ मुहूर्त 

अश्विन शुक्ल सप्तमी तिथि शुरू: 1 अक्टूबर 2022 से रात 08:46 तक

अश्विन शुक्ल सप्तमी तिथि समाप्त: 2 अक्टूबर 2022 से शाम 06:47 तक

ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04.43 से सुबह 05.31

अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11.52 से दोपहर 12.40

अमृत काल : रात 07.50 से रात 09.20

निशिता मुहूर्त: 2 अक्टूबर, 11.52 से 3 अक्टूबर, 12.41 (रात्रि पूजा का समय)

माता कालरात्रि की मंत्र 

बीज मंत्र

क्लीं ऐं श्रीं कालिकायै नम:

सिद्ध मंत्र

ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम:।

मंत्र

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।

लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥

वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा।

वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥

माता कालरात्रि को प्रिय भोग, रंग और फूल 

मां कालरात्रि को साहस की देवी माना जाता है और मां कालरात्रि को गुड़ का भोग अर्पित करना चाहिए। ऐसा कहते हैं मां कालरात्रि को गुड़ प्रिय हैं और मां कालरात्रि को गुड़ अर्पित करने से शत्रु और विरोधियों पर विजय प्राप्त करने का आशीर्वाद मिलता है। बता दे सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा में नीला रंग शुभ माना जाता है क्योंकि ये निडरता का प्रतीक है। इसलिए मां कालरात्रि की पूजा करते समय नीले रंग के कपड़े पहनें। बता दे मां का रंग अधंकार यानी काली रात की तरह है। इसलिए इन्हें रात में खिलने वाला फूल जैसे रात रानी का पुष्प बहुत पसंद है। ऐसी मान्यता है कि मां कालरात्रि की पूजा में देवी मां कालरात्रि को रात रानी का फूल अर्पित करने से भय, अकाल मृत्यु का डर खत्म हो जाता है।

माता कालरात्रि की कथा 

दरअसल जब दैत्य शुंभ-निशुंभ और रक्तबीज ने तीनों लोकों में हाहाकार मचा रखा था, तब इससे चिंतित होकर सभी देवता शिवजी के पास गए और उनसे रक्षा की प्रार्थना करने लगे। तब भगवान शिव ने माता पार्वती से राक्षसों का वध कर अपने भक्तों की रक्षा करने को कहा। तब शिवजी की बात मानकर माता पार्वती ने दुर्गा का रूप धारण किया और शुंभ-निशुंभ का वध कर दिया। जब मां दुर्गा ने दैत्य रक्तबीज को मौत के घाट उतारा, तो उसके शरीर से निकले रक्त से लाखों रक्तबीज दैत्य उत्पन्न हो गए थे। दरअसल इसे देख मां दुर्गा ने अपने तेज से कालरात्रि को उत्पन्न किया। इसके बाद जब मां दुर्गा ने दैत्य रक्तबीज का वध किया और इसके बाद उसके शरीर से निकलने वाले रक्त को मां कालरात्रि ने जमीन पर गिरने से पहले ही अपने मुख में भर लिया। बता दे इस तरह मां दुर्गा ने सबका गला काटते हुए रक्तबीज का वध कर दिया।

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