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निर्जला एकादशी व्रत 2022 : जानिये महाभारत काल के अनुसार क्या है इस व्रत की मान्यता
निर्जला एकादशी व्रत 2022 : जानिये महाभारत काल के अनुसार क्या है इस व्रत की मान्यता

निर्जला एकादशी व्रत 2022 : जानिये महाभारत काल के अनुसार क्या है इस व्रत की मान्यता

  • निर्जला एकादशी व्रत क्यो रखा जाता है

  • महाभारत काल से जुड़ी है इसकी कथा

  • इस दिन का महत्व

धर्म डेस्क : हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन बिना कुछ खाए पिए व्रत रखने से व्यक्ति पाप मुक्त सभी हो जाता है। और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस साल निर्जला एकादशी 10 जून को होने वाली है। इस व्रत का संबंध द्वापर युग से है। महाभारत काल में पांडवों से जुड़ी एक कथा है जिसमें इस व्रत का महत्व बताया गया है।


ऐसा कहा जाता हैं कि एक बार की बात है महर्षि वेदव्यास ने पांडवों समेत कुंती और द्रौपदी को हर एकादशी पर व्रत रखने को कहा था। यह बात सुनकर पांडु पुत्र भीम आश्चर्यचकित हो गए। भीम ने महर्षि वेदव्यास से पूछा कि हर मास में दो बार एकादशी आती है, इस तरह एक वर्ष में 24 एकादशी आती हैं। भीम के लिए हर एकादशी पर व्रत रखना संभव नहीं था। क्योंकि उसके पेट में वृक नाम की अग्नि है, जो अत्यधिक भोजन ग्रहण करने के बाद भी शांत नहीं होती है।

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भीमसेन ने कहा कि वह कुछ घंटे भी खाए पिए बिना नही रह सकते तो हर एकादशी पर बिना कुछ खाए पिए व्रत रखना उनके लिए कठिन होगा। तब महर्षि वेदव्यास ने इसका समाधान बताया। उन्होंने कहा कि ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को तुम निर्जला व्रत रखना, इससे तुम्हें 24 एकादशी व्रत का पुण्य मिलेगा। भीम ने महर्षि के बताए अनुसार बड़ी आस्था के साथ निर्जला एकादशी का व्रत रखा। लेकिन आखिर में वह मूर्छित हो गये। तब पांडवों ने गंगाजल छिड़ककर उसकी मूर्छा दूर की। इस तरह निर्जला एकादशी को भीमसेन एकादशी भी कहते है।

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