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ओबरा सी की पहली इकाई सिंक्रोनाइज, वाणिज्यिक उत्पादन की तरफ बढ़े कदम

  • ऊर्जा के मोर्चे पर राज्य सरकार को बड़ी राहत

  • कोयले से विद्युत उत्पादन की प्रक्रिया अपनाई जाएगी

  • उपभोक्ताओं के लिए ग्रिड आपूर्ति का काम शुरू कर दिया जाएगा

Sonbhadra News: यूपी में बढ़ती बिजली खपत के बीच एक अच्छी खबर सामने आई है। राज्य सेक्टर की निर्माणाधीन 1320 मेगावाट क्षमता वाली ओबरा सी की 660 मेगावाट वाली पहली इकाई को सफलतापूर्वक, लाइटअप करने के साथ ही, प्रारंभिक तौर पर उत्पादन (2×660 MW Obra-C, Unit #1 Initial Synchronization) पर भी ले लिया गया। शनिवार की आधी रात जैसे ही विद्युत उत्पादन डिस्प्ले बोर्ड पर तेजी से विद्युत उत्पादन का आंकड़ा तो होने लगा, इकाई को प्रारंभिक उत्पादन पर लाने में जुटे अभियंता खुशी से उछल पड़े। यह उत्पादन आयल फायरिंग के जरिए किया गया। अब आगे कोल फायरिंग यानी कोयले से विद्युत उत्पादन की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। सब कुछ ठीक-ठाक रहा तथा जून तक इस इकाई को वाणिज्यिक उत्पादन पर लेने के साथ ही इस इकाई से उत्पादित होने वाली बिजली को उपभोक्ताओं के लिए ग्रिड आपूर्ति का काम शुरू कर दिया जाएगा।

बताते चलें कि राज्य सरकार की तरफ से कोरियाई कंपनी दुसान के जरिए 1320 मेगावाट वाली ओबरा सी परियोजना का निर्माण कार्य कराया जा रहा है। इस परियोजना में 660-660 मेगावाट की दो सुपर क्रिटिकल इकाइयां स्थापित की जा रही हैं। इसमें पहली इकाई को गत जनवरी माह में ब्वायलर के काम के लिए लाइटअप कर लिया गया था। उसी दौरान इस इकाई को छह माह के भीतर वाणिज्यिक उत्पादन पर आने की संभावना जताई जा रही है। इन संभावनाओं को पंख लगाते हुए, अभियंताओं ने शनिवार की आधी रात, पहली इकाई को उत्पादन के लिए लाइटअप करने के साथ ही प्रारंभिक तौर पर इसे उत्पादन पर ले लिया गया। शनिवार की रात इस परियोजना से बेहतर विद्युत उत्पादन भी किया गया। हालांकि अभी यह उत्पादन प्रारंभिक है और आयल फायरिंग यानी तेल के जरिए इस इकाई को उत्पादन पर लाने की टेस्टिंग की गई है। आयल फायरिंग की टेस्टिंग सही होने के बाद, अब कोल फायरिंग यानी कोल हैंडलिंग प्लांट के जरिए विद्युत उत्पादन की तैयारी शुरू कर दी गई है। ओबरा परियोजना के मुख्य महाप्रबंधक इं. दीपक कुमार ने भी इकाई को सिंक्रोनाइज किए जाने की पुष्टि की। फोन पर बताया कि अभी यह प्रारंभिक उत्पादन है। अब कोल फायरिंग को लेकर टेस्टिंग की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। सब कुछ सफल रहा है तो एक माह बाद इकाई उन्हें, वाणिज्यिक उत्पादन के लिए हैंडओवर की जा सकती है। बता दें कि जैसे ही इकाई से वाणिज्यिक उत्पादन शुरू होगा। वैसे ही, इस इकाई से उत्पादित होने वाली बिजली राज्य सरकार यानी, पावर ग्रिड को मिलनी शुरू हो जाएगी

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