पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि
पुण्यतिथि पर सीएम योगी ने किया नमन
मंत्री स्वतंत्र देव सिंह समेत कई प्रमुख लोग रहे मौजूद
लखनऊ: देश आज पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को उनकी चौथी पुण्यतिथि पर श्रद्धापूर्वक याद कर रहा है। भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मंगलवार की सुबह यहां लोक भवन में स्थापित वाजपेयी की प्रतिमा स्थल पर पहुंचे और पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इस मौके पर उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक तथा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष व जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह समेत कई प्रमुख लोग मौजूद रहे।
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लोकप्रिय जननेता, प्रखर राष्ट्रभक्त, ओजस्वी वक्ता, असंख्य कार्यकर्ताओं के प्रेरणा-पुंज, पूर्व प्रधानमंत्री, 'भारत रत्न' श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि!
आपका शुचितापूर्ण राजनीतिक एवं सार्वजनिक जीवन लोकतंत्र हेतु सदैव आदर्श मानक रहेगा।
— Yogi Adityanath (मोदी का परिवार) (@myogiadityanath) August 16, 2022
इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी ट्वीट कर उनको श्रद्धांजलि दी है। सीएम योगी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि लोकप्रिय जननेता, प्रखर राष्ट्रभक्त, ओजस्वी वक्ता, असंख्य कार्यकर्ताओं के प्रेरणा-पुंज, पूर्व प्रधानमंत्री, ‘भारत रत्न’ श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि। आपका शुचितापूर्ण राजनीतिक एवं सार्वजनिक जीवन लोकतंत्र हेतु सदैव आदर्श मानक रहेगा। बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का निधन 16 अगस्त 2018 को हो गया था। वह लखनऊ संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते थे।
स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी ने वर्ष 1996 में महज 13 दिन में ही प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा दिया था। इसके बाद वह 1998 में दोबारा प्रधानमंत्री के पद के लिए चुने गए। वह तीसरी बार 1999 से 2004 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे। तब उन्होंने पांच वर्ष का अपना कार्यकाल पूरा किया। देश के सबसे लोकप्रिय नेता अटल बिहार वाजपेयी लखनऊ से 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 में लोकसभा के लिए चुने गए थे। भारत के पूर्व पीएम वाजपेयी हिंदी में संयुक्त राष्ट्र विधानसभा में भाषण देने वाले पहले विदेश मंत्री भी थे। 4 अक्टूबर, 1977 को उन्होंने जब हिंदी में भाषण दिया, तो यूएन तालियों से गूंज उठा था। उनकी गिनती देश की सियासत के उन चंद नेताओं में होती है जो कभी दलगत राजनीति के बंधन में नहीं बंधे। उन्हें हमेशा ही सभी पार्टियों से भरपूर प्यार व स्नेह मिला।
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