सकल हिंदू समाज द्वारा आयोजित हिंदू जन आक्रोश मार्च
सरकार “लव जिहाद ” पर अन्य राज्यों द्वारा बनाए गए कानूनों का अध्ययन करेगी
धर्मांतरण कराने का षड्यंत्र रचने का आरोप
(नेशनल डेस्क) मुंबई, 29 जनवरी दक्षिणपंथी संगठनों के कार्यकर्ताओं ने ‘लव जिहाद’ के खिलाफ मध्य मुंबई में एक विशाल रैली निकाली और धर्मांतरण रोधी कानून बनाने और धर्म के नाम पर जमीन हड़पने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस), बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) जैसे दक्षिणपंथी संगठनों के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने मार्च निकाला।
सकल हिंदू समाज द्वारा आयोजित हिंदू जन आक्रोश मार्च, मध्य मुंबई में दादर के शिवाजी पार्क से शुरू हुआ और चार किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करते हुए परेल के कामगार मैदान में समाप्त हुआ।कार्यकर्ताओं ने “लव जिहाद” के खिलाफ नारेबाजी की और धर्मांतरण रोधी कानून बनाने और धर्म के नाम पर जमीन हड़पने पर कार्रवाई की मांग की।
रैली में भारतीय जनता पार्टी और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के शिवसेना गुट के कई नेता और विधायकों ने भी हिस्सा लिया। किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए मार्च के रास्ते में पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया था।दक्षिणपंथी संगठनों के कार्यकर्ता ‘‘लव जिहाद’’ शब्द का इस्तेमाल मुस्लिम पुरुषों पर हिंदू लड़कियों को बहला-फुसलाकर शादी के जरिये धर्मांतरण कराने का षड्यंत्र रचने का आरोप लगाने के लिए करते हैं।महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पिछले दिसंबर में कहा था कि सरकार “लव जिहाद” पर अन्य राज्यों द्वारा बनाए गए कानूनों का अध्ययन करेगी और उचित निर्णय लेगी।
न्यायमूर्ति के एम जोसेफ, न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय की पीठ ने कहा कि वह मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ से निर्देश मांगेगी और मामले की शुक्रवार को सुनवाई के बाद उनकी मंजूरी के अधीन होगी।
“हम इस पर आपके साथ हैं, लेकिन यह समझें कि हर बार रैली अधिसूचित होने पर सुप्रीम कोर्ट को ट्रिगर नहीं किया जा सकता है। हम पहले ही एक आदेश पारित कर चुके हैं जो पर्याप्त स्पष्ट है। जरा कल्पना कीजिए कि पूरे देश में रैलियां हो रही हैं। हर बार ऐसा होगा सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक आवेदन यह कैसे संभव हो सकता है?
पीठ ने कहा, “आप हमें बार-बार आदेश देकर शर्मिंदा होने के लिए कहते हैं। हमने इतने सारे आदेश पारित किए हैं, फिर भी कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट को घटना दर घटना के आधार पर आदेश पारित करने के लिए नहीं कहा जाना चाहिए।”
यह टिप्पणी एक वकील द्वारा इस मामले का जिक्र किए जाने के बाद आई, जिसमें कहा गया था कि हिंदू जन आक्रोश मोर्चा द्वारा मुंबई में आयोजित की जाने वाली कथित अभद्र भाषा रैली के खिलाफ इस मुद्दे पर तत्काल सुनवाई की जरूरत है।