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नोटबंदी के खिलाफ याचिकाओं पर आज फैसला सुनाएगा सुप्रीम कोर्ट,वेबसाइट और एप में उपलब्ध होगी रिपोर्ट

  • नोटबंदी के खिलाफ याचिकाओं पर आज फैसला सुनाएगा सुप्रीम कोर्ट

  • याचिकाकर्ताओं ने नोटबंदी को असंवैधानिक बताया था

  • नोटबंदी की सिफारिश रिजर्व बैंक ने की थी

  • वेबसाइट और एप में उपलब्ध होगी रिपोर्ट

(नेशनल डेस्क) 8 नवंबर 2016 को हुई नोटबंदी को गलत बताने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ आज यानी 2 जनवरी को फैसला देगी.दरअसल साल 2016 में मोदी सरकार ने एक हजार रुपये और पांच सौ रुपये के नोटों को बंद करने का फैसला लिया था। सरकार के उस फैसले की खूब आलोचना भी की गई थी। इतना ही नहीं, सरकार के उस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट नें कई याचिकाएं भी दाखिल की गई थीं.

नोटबंदी को चुनौती देने वाली 58 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनाएगा फैसला

सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने नोटबंदी को असंवैधानिक बताया था. उन्होंने कहा था कि बिना नियम कानून के 86 फीसदी नोट बंद कर दिए गए. सरकार ने नोटबंदी के फैसले से पहले की प्रक्रिया की ठीक से जानकारी नहीं दी है. न तो 7 नवंबर, 2016 को सरकार की तरफ से रिजर्व बैंक को भेजी चिट्ठी रिकॉर्ड पर रखी गई है, न यह बताया गया है कि रिजर्व बैंक के सेंट्रल बोर्ड की बैठक में क्या चर्चा हुई. आठ नवंबर 2016 को लिया गया कैबिनेट का फैसला भी कोर्ट में नहीं रखा गया है. सुप्रीम कोर्ट को भविष्य के लिए कानून तय करना चाहिए.

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पीठ ने केंद्र के 2016 के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी, आरबीआई के वकील और वरिष्ठ अधिवक्ता पी चिदम्बरम तथा श्याम दीवान समेत याचिकाकर्ताओं के वकीलों की दलीलें सुनी थीं और अपना फैसला सुरक्षित रखा था। एक हजार और 500 रुपये के नोटों को बंद करने के फैसले को ‘गंभीर रूप से दोषपूर्ण’ बताते हुए चिदंबरम ने दलील दी थी कि केंद्र सरकार कानूनी निविदा से संबंधित किसी भी प्रस्ताव को अपने दम पर शुरू नहीं कर सकती है और यह केवल आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड की सिफारिश पर किया जा सकता है।

8 नवंबर, 2016 की आधी रात से लागू किए गए केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले के खिलाफ याचिकाकर्ता विवेक नारायण शर्मा समेत कुल 58 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ नए साल 2023 के दूसरे दिन फैसला सुनाएगी. संविधान पीठ ने नोटबंदी पर सभी पक्षों की दलीलों पर गौर करने के बाद 7 दिसंबर को अपना फैसला सुरक्षित किया था.

संविधान पीठ की अध्यक्षता करने वाले जज जस्टिस एस अब्दुल नजीर फैसले के दो दिन बाद 4 जनवरी को रिटायर हो जाएंगे. जबकि फैसला पढ़ने वाले जज जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस बीवी नागरत्ना, दोनों क्रमशः 2025 और 2027 में भारत के मुख्य न्यायाधीश का पद ग्रहण करेंगे.

केंद्र सरकार ने यह दावा भी किया कि नोटबंदी की सिफारिश रिजर्व बैंक ने की थी. इसे काफी चर्चा और तैयारी के बाद लागू किया गया था. रिजर्व बैंक के लिए पेश वरिष्ठ वकील ने कहा कि यह एक आर्थिक निर्णय था. इसकी कोर्ट में समीक्षा नहीं हो सकती. यह एक नीतिगत फैसला था, जिस पर उन्होंने यह भी कहा कि इस फैसले से लोगों को शुरुआती दिक्कतें हुईं, लेकिन इसका मकसद देश को मजबूत करना था.

शीर्ष कोर्ट ने बयान में कहा कि 1950 से 2017 तक के फैसलों के डिजिटलीकरण, स्कैन किए जाने और पीडीएफ प्रारूप में इसकी डिजिटलीकृत सॉफ्ट प्रति संरक्षित किए जाने से रजिस्ट्री को एससीआर के फैसलों की सॉफ्ट कॉपी के डिजिटल संग्रहण में मदद मिलेगी। ई-एससीआर परियोजना सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर शुरू होगी। यह कोर्ट के मोबाइल एप पर भी उपलब्ध होगी। इसे नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड  पर भी शुरू किया जाएगा।

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