सुप्रीम कोर्ट आज 220 जनहित याचिकाओं की होगी सुनवाई
सीएए की याचिका पर होगी सुनवाई
18 दिसंबर 2019 को हुई थी सुनवाई
नेशनल डेस्क: सुप्रीम कोर्ट आज कुल 220 जनहित याचिकाओं की सुनवाई होगी, जिसमें विवादास्पद नागरिकता संसोधन विधेयक यानी सीएए की वैधानिकता के खिलाफ दायर याचिकाएं भी शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट के मुताबिक, मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित और एस रविंद्र भट्ट की पीठ के सामने 220 याचिकाएं सूचीबद्ध की गई हैं। ये याचिकाएं करीब दो साल से लंबित है।
मोदी सरकार के सबसे विवादास्पद कानूनों में से एक नागरिकता संसोधन विधेयक पर इससे पहले सुनवाई 18 दिसंबर 2019 को हुई थी। देशभर में हो रहे भारी विरोध – प्रदर्शनों के बीच अदालत ने इस पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। हालांकि, केंद्र को नोटिस जारी कर जनवरी, 2020 के दूसरे सप्ताह तक अपना पक्ष रखने के लिए कहा गया था। हालांकि, कोरोना महामारी के कारण इसकी सुनवाई अब तक नहीं हो पाई, जिसके बाद आज इसकी सुनवाई होगी।
क्या है सीएए
नागरिकता संसोधन कानून यानी सीएए को मोदी सरकार ने साल 2019 में संसद से पास कराया था। इस कानून का मकसद 31 दिसंबर 2014 या उससे पहले भारत आए पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के गैर मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदायों जैसे हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी को नागरिकता प्रदान करना है। इस बिल के पास होने के बाद ही बवाल खड़ा हो गया। विपक्षी दल और मुस्लिम समुदाय का एक बड़ा तबका इसके खिलाफ सड़कों पर उतर गया। साल 2020 की शुरूआत में इसे लेकर दिल्ली में भयानक दंगे भी हुए।
याचिका में सीएए पर जताई गई आपत्ति
केरल में सक्रिय इंडियन मुस्लिम लीग ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सीएए को लेकर आपत्ति जताई है। याचिका में इसे समानता के मूल अधिकार का उल्लंघन बताया गया है। इंडियन मुस्लिम लीग का कहना है कि ये कानून प्रवासियों को नागरिकता देते समय धर्म के आधार पर भेद करता है। इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई और विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने भी याचिका दायर कर रखी है। इनमें वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा और राजद के राज्यसभा सांसद मनोज झा शामिल हैं।