बीबीसी डॉक्यूमेंट्री पर नहीं लगेगा प्रतिबंध
सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की बैन की मांग वाली याचिका
हिंदू धर्म विरोधी प्रचार है डॉक्युमेंट्री
नेशनल डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने भारत में ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाली याचिका शुक्रवार को यह कहते हुए खारिज कर दी कि यह ‘पूरी तरह मिथ्या विचार’ है। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश की पीठ ने हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता और एक किसान बीरेंद्र कुमार सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया।इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप इस तरह की राहत कैसे मांग सकते हैं, क्या कोर्ट डॉक्यूमेंट्री पर रोक लगा सकता है।
याचिका में कहा गया कि ‘इंडिया द मोदी क्वेश्चन’ डॉक्यूमेंट्री का बैकग्राउंड देखा जाना चाहिए कि यह कब बनी। आज आपके पास मौका है जब एक भारतवंशी ब्रिटेन का प्रधानमंत्री है और भारत एक आर्थिक शक्ति बनकर उभर रहा है।विष्णु गुप्ता के अलावा एक किसान बीरेंद्र कुमार सिंह ने भी डॉक्यूमेंट्री पर बैन लगाने की मांग की थी, जिनकी तरफ से एडवोकेट बरुण कुमार सिन्हा और पिंकी आनंद ने दलील दी।
याचिका में आरोप लगाया गया था, ‘बीबीसी की 2002 की गुजरात हिंसा से संबंधित डॉक्यूमेंट्री फिल्म में पीएम मोदी को न केवल उनकी छवि को धूमिल करने के लिए प्रसारित नरेंद्र मोदी विरोधी ठंडे प्रचार का प्रतिबिंब है, बल्कि यह बीबीसी द्वारा भारत के सामाजिक ताने-बाने को नष्ट करने के लिए हिंदू धर्म विरोधी प्रचार है।’
शीर्ष अदालत ने तीन फरवरी को बीबीसी के वृत्तचित्र को प्रतिबंधित करने के सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली अलग-अलग याचिकाओं पर केंद्र और अन्य पक्षों से जवाब मांगा था। जिन याचिकाकर्ताओं की याचिकाओं पर शीर्ष अदालत ने नोटिस जारी किये थे, उनमें अनुभवी पत्रकार एन राम, तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा, वकील प्रशांत भूषण और वकील एम एल शर्मा शामिल हैं। सरकार ने 21 जनवरी को विवादास्पद वृत्तचित्र के लिंक साझा करने वाले कई यूट्यूब वीडियो और ट्विटर पोस्ट को ब्लॉक करने के निर्देश जारी किए थे।
शीर्ष कोर्ट ने हिंदू सेना अध्यक्ष ने याचिका दाखिल कर प्रधानमंत्री की गुजरात दंगों में कथित भूमिका पर आधारित डॉक्यूमेंट्री प्रसारित करने के लिए बीबीसी और बीबीसी इंडिया पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। याचिका में आरोप लगाया गया था कि बीबीसी और बीबीसी इंडिया भारत में शांति और अखंडता को बाधित करने की कोशिश कर रहा है।
जेएनयू में बीते 24 जनवरी को पीएम मोदी पर बनी बीबीसी डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की गई. छात्रों का आरोप है कि स्क्रीनिंग के दौरान कैंपल की बिजली काट दी गई और इंटरनेट बंद कर दिया गया। दावा यह भी किया गया कि कुछ छात्रों ने स्क्रीनिंग में शामिल स्टूडेंट्स पर पथराव भी किया। विवाद हुआ तो विश्वविद्यालय प्रशासन ने स्क्रीनिंग रद्द कर दी। इसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय और आम्बेडकर विश्वविद्यालय में भी बीबीसी डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर विवाद हुआ था।