नक्सलियों के मंसूबे पर पुलिस ने फेरा पानी
PLFI नक्सली संगठन के दो बड़े कमांडर को दबोचा
संगठन को मजबूत करने में जुटा था तिलकेश्वर गोप
(नेशनल डेस्क) रांची पुलिस ने प्रतिबंधित नक्सली संगठन पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया के दो बड़े नक्सलियों को गिरफ्तार किया है. इनमें रीजनल कमांडर तिलकेश्वर गोप उर्फ और राजेश गोप और एरिया कमांडर सूरज गोप उर्फ कोका शामिल हैं. इनके पास से एक ए.के.-47, दो देसी बंदूक, कई कारतूस और अन्य सामान जब्त किए गए हैं. रांची के एसएसपी किशोर कौशल ने गुरुवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में यह जानकारी दी.
गुप्त सूचना के आधार पर रांची पुलिस ने प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया के 10 लाख का इनामी रीजनल कमांडर तिलकेश्वर गोप उर्फ राजेश गोप और उसके एक अन्य सहयोगी एरिया कमांडर सूरज गोप उर्फ कोका को गिरफ्तार करने में सफलता पाई है. पुलिस ने इनके पास से एक एके-47 राइफल, दो बंदूक, कई कारतूस सहित अन्य सामान बरामद किया है.
एसएसपी कौशल ने कहा कि सूचना मिली थी कि तिलकेश्वर गोप अपने हथियारबंद दस्ते के साथ अनगड़ा थाना क्षेत्र के जिदु गांव के आसपास जंगल में कैंप कर रहा है और किसी बड़ी घटना को अंजाम देने की तैयारी में है. इस सूचना के आधार सिल्ली के डीएसपी के नेतृत्व में थाना प्रभारी और क्यूआरटी ने घेराबंदी कर तिलकेश्वर और उसके साथी सूरज गोप को गिरफ्तार कर लिया. इसकी गिरफ्तारी से संगठन के कुछ और नक्सलियों की गिरफ्तारी की उम्मीद बढ़ गई है. साथ ही विकास कार्यों के दौरान नक्सली हमले का खतरा भी कुछ कम हो गया है.
तिलकेश्वर नक्सली संगठन पीएलएफआई के सुप्रीमो दिनेश गोप का काफी करीबी था. रांची समेत कई जिलों की पुलिस को उसकी तलाश थी. वह खूंटी के कर्रा थाना क्षेत्र के किनुटोली बकसपुर का रहने वाला है. बताया गया कि तिलकेश्वर गोप क्षेत्र में संगठन को मजबूत करने में जुटा था. वह संगठन में पुराने एवं नए लड़कों को जोड़ने में लगा हुआ था, ताकि जमीन कारोबारी, क्रशर एवं पत्थर खदान चलाने वाले व्यवसायियों से लेवी की वसूली हो सके. झारखंड में नक्सलियों की आय का साधन अब लेवी वसूली ही बचा है. संगठन के कमजोर पड़ने से उनकी वसूली को भी झटका लगा है.
प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप का काफी करीबी माना जाता है. 10 लाख का इनामी तिलकेश्वर गोप खूंटी जिला के कर्रा थाना क्षेत्र के किनुटोली बकसपुर का रहने वाला है. पीएलएफआई रीजनल कमांडर तिलकेश्वर गोप लगातार संगठन को मजबूत करने में जुटा था. वह संगठन में पुराने एवं नए लड़कों को जोड़ने में लगा हुआ था, ताकि जमीन कारोबारी, क्रशर एवं पत्थर खदान चलाने वाले व्यवसायियों से लेवी की वसूली हो सके.
झारखंड में नक्सलियों की आय का साधन अब लेवी वसूली ही बचा है. संगठन के कमजोर पड़ने से उनकी वसूली को भी झटका लगा है. 10 लाख के इनामी तिलकेश्वर गोप पर झारखंड के विभिन्न जिलों में 50 से भी ज्यादा मामले दर्ज हैं, जिसमें रांची में 9, खूंटी में 37, चाईबासा में 4, सिमडेगा में 2 और गुमला में 15 शामिल है.