विश्व बैंक ने इस महीने की शुरुआत में वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 1.7 प्रतिशत कर दिया
इस साल वैश्विक आर्थिक वृद्धि दर घटकर 1.9 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है
अगले साल आर्थिक वृद्धि दर बेहतर होगी और इसके 2.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है
संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र ने रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण खाद्य और ऊर्जा संकट, कोविड-19 महामारी के प्रभाव, ऊंची मुद्रास्फीति तथा जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चुनौतियों को देखते हुए इस साल वैश्विक आर्थिक वृद्धि दर घटकर 1.9 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक मामलों के विभाग ने आर्थिक परिदृश्य अनिश्चित रहने की आशंका जतायी है।
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विभाग ने बुधवार को कहा कि वर्तमान वैश्विक आर्थिक नरमी से विकसित और विकासशील दोनों श्रेणी के देशों में वृद्धि दर कम होगी। इनमें से कई देशों में मंदी की आशंका है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटारेस ने 178 पृष्ठ की रिपोर्ट की प्रस्तावना में लिखा, उच्च मुद्रास्फीति, मौद्रिक नीति को आक्रामक रूप से कड़ा किये जाने और बढ़ी हुई अनिश्चितताओं के बीच वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक व्यापक-आधार पर नरमी की स्थिति देखी जा रही है।
रिपोर्ट के अनुसार इस साल आर्थिक वृद्धि दर 1.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है जो 2022 में तीन प्रतिशत वृद्धि की संभावना से कम है। अगर ऐसा होता है तो यह हाल के दशकों में सबसे कम वृद्धि दर होगी। हालांकि अगले साल आर्थिक वृद्धि दर बेहतर होगी और इसके 2.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है। लेकिन इसके लिये जरूरी है कि मुद्रास्फीति में नरमी आए और आर्थिक चुनौतियां कम हों।
उल्लेखनीय है कि विश्व बैंक ने इस महीने की शुरुआत में वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 1.7 प्रतिशत कर दिया जबकि पूर्व में इसके तीन प्रतिशत रहने की संभावना जतायी गयी थी। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने अक्टूबर महीने में अपनी रिपोर्ट में वैश्विक वृद्धि दर 2023 में घटकर 2.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था जो 2022 में 3.2 प्रतिशत और 2021 में 6.0 प्रतिशत थी।
संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक मामलों के विभाग में आर्थिक विश्लेषण और नीति इकाई के निदेशक शांतनु मुखर्जी ने रिपोर्ट पेश करते हुए संवाददाता सम्मेलन में दुनिया में बढ़ती आय असमानता की बात कही। उन्होंने कहा कि वर्ष 2019 से 2021 के बीच शीर्ष 10 प्रतिशत आबादी की औसत आय में 1.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि निचले तबके से आने वाली 40 प्रतिशत आबादी की आय 0.5 प्रतिशत घटी।
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