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UP news: वाराणसी में मुस्लिम महिलाओं ने पेश की अनूठी मिसाल, दीपावली पर उतारी भगवान श्रीराम की आरती

  • मुस्लिम महिलाओं ने उतारी भगवान श्रीराम की आरती

  • मानवीय एकता और शांति का दिया संदेश

  • ‘पूर्वजों और परंपराओं से हमें कोई अलग नहीं कर सकता’

वाराणसी: जहां ईरान में मुस्लिम महिलाएं हिजाब से मुक्ति का आन्दोलन चला रही हैं और उन्हें गोलियों से भुना जा रहा है, रूस और यूक्रेन युद्ध ग्रस्त है और भारत में जिहाद के नाम पर हिंसा फैलाई जा रही है। ऐसे में पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में दिवाली पर मुस्लिम महिलाओं ने भगवान श्रीराम की आरती उतारकर सांप्रदायिक सौहार्द की अनूठी मिसाल पेश की है। विशाल भारत संस्थान और मुस्लिम महिला फाउंडेशन के संयुक्त तत्वाधान में वाराणसी के इन्द्रेश नगर स्थित सुभाष भवन में दिवाली के अवसर पर भगवान श्रीराम की आरती का आयोजन किया गया। मुस्लिम महिला फाउण्डेशन की नेशनल सदर हनुमान चालीसा फेम नाजनीन अंसारी के नेतृत्व में जुटीं हिन्दू-मुस्लिम महिलाओं ने उर्दू में रचित भगवान श्री राम प्रार्थना और आरती की। इस आरती का उद्देश्य विश्व को एकता और शांति के साथ सांप्रदायिक सौहार्द का संदेश देना था।

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मुस्लिम महिलाओं ने भगवान श्री राम और जगत माता जानकी से मन्नत मांगी कि

1. ईरान की मुस्लिम महिलाओं को हिजाब की गुलामी से मुक्ति मिले। ईरान के लोग अपने जड़ों की ओर लौटें, मुस्लिम बेटियों को जीने का अधिकार मिले।
2. आदि विश्वेश्वर मन्दिर परिसर औरंगजेब के कलंक से मुक्त हो और स्वयम्भू ज्योतिर्लिंग पर शीघ्र पूजा अर्चना शुरू हो।
3. रूस और यूक्रेन की जंग खत्म हो दुनियां रामराज्य की ओर बढ़े। भारत भूखंड में रहने वाले सभी भारतीय मूल के लोग अपने जड़ों की ओर लौटें, इससे रिश्ता मजबूत होगा और एक दूसरे से भावनात्मक सम्बन्ध विकसित होंगे।
4. समस्त भारत भूखण्ड के लोग अपने पूर्वजों, परम्पराओं, मातृभूमि और पूर्वजों के भगवान से जुड़कर अपने जड़ों से जुड़ें।

इस अवसर पर हनुमान चालीसा फेम नाजनीन अंसारी ने कहा कि धर्म बदलने से न पूर्वज बदल सकते है, न मातृभूमि और न ही पूर्वजों के भगवान राम। जब तक हमारे पूर्वज भगवान राम के नाम से जुड़े थे तब तक दुनियां में सम्मान की दृष्टि से देखा जाता था। अब लोग शक की दृष्टि से देखते हैं। हम जड़ों से जुड़े रहेंगे तो हमारा सम्मान बना रहेगा। यहां सदियों से सनातनी परंपरा रही है। यहां के सभी लोग हिंदू और सनातनी संस्कारों वाले ही हैं। उन्होंने कहा कि राम का नाम लेने से दुख दरिद्रता दूर होगी। साथ ही रामराज्य से विश्व शांति की तरफ जाएगा। अरबी देशों में भगवान राम का मंदिर बने तो वहां के लोगों की इज्जत भी बढ़ेगी और धर्म के नाम पर हो रही हिंसा खत्म होगी। पूर्वजों और परंपराओं से हमें कोई अलग नहीं कर सकता।

विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं रामपंथ के पंथाचार्य डॉ. राजीव श्रीगुरूजी ने कहा मुस्लिम महिलाओं ने श्रीराम की आरती के माध्यम से विश्व को राम पथ पर चलने का संदेश दिया है। जो भी राम की शरण में आएगा, वही हिंसा और नफरत से मुक्ति पा सकेगा। क्योंकि राम मुक्ति का मार्ग हैं, राम की शिक्षाओं को अन्य देशों को भी अपनाना चाहिए। हर गांव तक भगवान राम और उनके तीनों भाइयों के बारे में लोग पढ़े तो परिवार बचेगा और राष्ट्र मजबूत होगा। विश्व में स्थायी शांति आएगी। मुस्लिम महिलाओं का प्रयास मील का पत्थर है। जो हमेशा याद रखा जाएगा।

ये लोग रहे मौजूद

इस अवसर पर नजमा परवीन, नगीना, नाजिया, शबनम, शबीना, तहमीना, नजराना, नगीना, शम्सुननिशा, नाजमा, सैमुननिशा, मुन्नी, जुबैदा, शहजादी, अजमती, रबीना, रूखसाना, हदीसुन, रशीदा, शहीदुन, अर्चना भारतवंशी, डा. मृदुला जायसवाल, इली भारतवंशी, खुशी भारतवंशी, उजाला भारतवंशी, दक्षिता भारतवंशी, सरोज, पूनम, गीता, रमता आदि महिलाओं ने भाग लिया।

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