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कौन हैं जार्ज सोरोस, पीएम मोदी को बनाया था निशाना

  • जार्ज सोरोस के बारे में जानें 

  • जार्ज सोरोस ने पीएम मोदी को बनाया था निशाना

  • बीजेपी और l कांग्रेस ने किया पलटवार

National Desk. हंगरी – अमेरिकी मूल के अरबपति कारोबारी जार्ज सोरोस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अडानी समूह के मुद्दे पर निशाना साधा, जिस पर बीजेपी आगबबूला है। भारतीय जनता पार्टी की ओर से मोर्चा संभालते हुए केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी अमेरिकी अरबपति पर जकमर हमला बोला। इतना ही नहीं अडानी मुद्दे पर संसद से सड़क तक घमासान मचाने वाली कांग्रेस ने भी पीएम मोदी को लेकर जार्ज सोरोस द्वारा दिए गए बयान को खारिज किया है।

क्या कहा था सोरास ने ? 

अरबपति कारोबारी जार्ज सोरोस ने फाइनेंशियल टाइम्स में लिखे लेख में कहा था कि अडानी की वजह से पीएम मोदी कमजोर हो गए हैं। उनको अब संसद और विदेशी निवेशकों को जवाब देना होगा। सोरोस ने आगे कहा था कि संघीय सरकार पर मोदी की कमजोर पकड़ बहुत जरूरी संस्थागत सुधारों को आगे बढ़ाने का रास्ता खोल देगा। अमेरिकी उद्योगपति इससे पहले भी धारा 370 और सीएए के मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी को घेर चुके हैं।

बीजेपी – कांग्रेस ने किया पलटवार 

जार्ज सोरोस पर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने जोरदार पलटवार किया है। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने उन्हें आड़े हाथों लेते हुए कहा कि जिस व्यक्ति ने इंग्लैंड के बैंक को तोड़ दिया, एक शख्स जिसे आर्थिक अपराधी के रूप में नामित किया गया है, उसने भारत को तोड़ने का ऐलान कर दिया है। ईरानी ने कहा कि लोकतांत्रिक ढंग से चुनी गई सरकार और हमारे प्रधानमंत्री ऐसे गलत इरादों के सामने सिर नहीं झुकाएंगे। हमने विदेशी ताकतों को पहले भी हराया और आगे भी हराएंगे।

वहीं, मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी है। सीनियर कांग्रेस लीडर जयराम रमेश ने ट्वीट कर कहा कि पीएम से जुड़ा अडानी घोटाला भारत में लोकतांत्रिक पुनरूत्थान करता है या नहीं, यह पूरी तरह कांग्रेस, विपक्ष व हमारी चुनाव प्रक्रिया पर निर्भर है। इसका जार्ज सोरोस से कोई लेना-देना नहीं है। तो आइए बीजेपी और कांग्रेस दोनों के निशाने पर आए इस दिग्गज अमेरिकी कोरोबारी पर एक नजर डालते हैं।

कौन हैं जार्ज सोरोस ?

जार्ज सोरोस का जन्म 12 अगस्त 1930 को हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में हुआ था। सोरोस जब 13 साल के हुए थे तब उनके देश पर नाजी जर्मनी ने कब्जा कर लिया था। विश्व युद्ध समाप्त होन के कुछ साल बाद वे 1947 में इंग्लैंड चले आए थे। यहां उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से स्नातक किया। शुरूआती दिनों में ब्रिटेन में रेलवे कुली का काम करने वाले सोरोस 1956 में न्यूयॉर्क चले आए और फिर यहां पर कामयाबी की सीढ़ी चढते गए। खुद को नास्तिक बताने वाले जॉर्ज सोरोस दार्शनिक कहलाना पसंद करते हैं। उन्होंने एक दर्जन किताबें भी लिखी है।

इसके अलावा अपनी दो आत्मकथाओं के लिए लेखन में सहयोगी रहे हैं। वे इजरायल और अमेरिका के साथ ही विभिन्न विषयों पर दुनिया की प्रतिष्ठित अखबारों में कॉलम लिखते रहते हैं। 2020 में फोर्ब्स मैगजीन ने उन्हें 13 बिलियन डॉलर के साथ दुनिया का 29वां सबसे अमीर शख्स करार दिया था। सोरोस जमकर चैरिटी भी करते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 1979 से अब तक उन्होंने 7 बिलियन डॉलर से अधिक रकम विभिन्न कल्याण कार्यों के लिए खर्च किया है।

दुनिया के ताकतवर नेताओं से पंगा 

जार्ज सोरोस का दुनिया के कद्दावर नेताओं से 36 का आंकड़ा रहा है। वे भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सख्त आलोचक हैं। वे इन नेताओं को तानाशाह मानते हैं। सोरोस 2004 में जॉर्ज डब्ल्यू बुश को राष्ट्रपति चुनाव में हराने के लिए वो किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार थे। उन्होंने इसके खूब सारा संसाधन भी लगाया था। यहां तक कि बुश को हराने वाले को वो अपनी सारी संपत्ति देने के लिए भी तैयार थे।

विवादों से खूब रहा है नाता

अरबपति कारोबारी जार्ज सोरोस जितने मशहूर हैं, उतने ही विवादों में भी रहे हैं। उनपर दुनिया के कई देशों की राजनीति को प्रभावित करने का एजेंडा चलाने का आरोप लगता रहता है। उनपर दुनिया के कई देशों में समाजसेवा और कारोबार के नाम पर पैसे के बल पर वहां की राजनीति में दखल देने के गंभीर आरोप भी लगे हैं। उन्होंने कई देशों में चुनावों को प्रभावित करने के लिए भारी-भरकम फंडिग की। इसलिए यूरोप और अरब के कई मुल्कों में उनकी संस्थाओं पर भारी जुर्माना लगाकर बैन कर दिया गया। साल 1994 में एक भाषण में उन्होंने बताया था कि उन्होंने अपनी मां को आत्महत्या करने में मदद देने की पेशकश की थी। उनके इस बयान पर खूब हंगामा मचा था।

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