UP में अधिकारियों पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने कसा शिकंजा
कोरोना के नाम पर अधिकारियों ने मचाई लूट
खुलासा होने पर अधिकारी हुए सस्पेंड
यूपी डेस्क: उत्तर प्रदेश में जानलेवा कोरोना वायरस का प्रसार तेज़ी से बढ़ता जा रहा है। इस बीमारी से निपटने में गड़बड़ियों की खबरें भी अब बाहर आने लगी हैं। अब हाल ये है कि 24 घंटों में 7 हज़ार से भी अधिक कोरोना के नए केस हो जाते हैं। कोरोना से बेहाल यूपी में कई अफ़सरों ने संकट को अवसर में बदल लिया है। ज़रूरी चीजों की खरीद के नाम पर करोड़ों का खेल हुआ। ऑक्सीमीटर और थर्मामीटर पांच गुना दाम पर खरीदे गए। कुछ जिलों से इस बात की शिकायत आई है। इसके बाद जब जांच हुई तो पता चला बहुत गड़बड़ है। कुछ अधिकारी सस्पेंड भी कर दिए गए हैं। लेकिन इस खेल के असली खिलाड़ियों पर कोई आंच नहीं आई। आरोप है कि ऐसे बड़े लोगों को बचाया जा रहा है।
आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कहा कि, इस घोटाले का मुख्यमंत्री ऑफिस से कनेक्शन है। इन आरोपों के बाद योगी आदित्यनाथ ने पूरे मामले की जांच के लिए एक एसआईटी बना दी है। यूपी के सीएम ने स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम को दस दिनों में जांच कर रिपोर्ट देने को कहा है। जांच के दायरे में कई ज़िलों के डीएम और सीनियर आईएएस अधिकारी है। कार ने अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार को एसआईटी का चीफ बनाया है. उनकी छवि एक ईमानदार और तेज तर्रार अफसर की रही है। ईटी में चिकित्सा शिक्षा विभाग के सचिव अमित गुप्ता को सदस्य बनाया है। नगर विकास मंत्रालय के सचिव विकास गोठलवाल को भी इस टीम में रखा गया है। योगी ने एसआईटी को हर पहलू की जांच करने को कहा है।
सबसे पहले गड़बड़ी की शिकायत सुल्तानपुर से आई थी। वो भी बीजेपी के विधायक की तरफ़ से. बीजेपी एमएलए देव मणि द्विवेदी ने थर्मामीटर और ऑक्सीमीटर की खरीद में करोड़ों की धांधली के आरोप लगाए। उन्होंने इस बारे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चिट्टी भी लिखी। इसके बाद सीएम के सचिव संजय प्रसाद ने पंचायती राज विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी को जांच के लिए कहा। बीजेपी विधायक ने आरोप लगाया था कि कोविड किट 2800 के बदले में 9500 रूपये में खरीदे गए। किट में ऑक्सीमीटर और थर्मामीटर मिलता है. जांच में शिकायत सही पाई गई।