यूपी सरकार ने लिया अहम फैसला
गाज़ियाबाद विकास प्राधिकरण में हुए घोटाले की होगी जांच
BSP और SP सरकार में हुआ था काम
यूपी डेस्क: उत्तर प्रदेश सरकार ने गाज़ियाबाद विकास प्राधिकरण में हुए 572.48 करोड़ रुपए के घोटाले में जांच कराने का फैसला किया है। यह घोटाला महालेखाकार की ऑडिट रिपोर्ट में सामने आया था। प्रदेश में भाजपा सरकार ने वर्ष 2017 में सत्तारूढ़ होने के बाद गाज़ियाबाद विकास प्राधिकरण के काम का ऑडिट कराने का फैसला किया था। इसी ऑडिट के बाद जीडीए के अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत सामने आई है।
दरअसल विकासकर्ताओं को अनुचित लाभ से गाजियाबाद विकास प्राधिकरण को 572.48 करोड़ रुपए की हानि हुई थी। यह प्रकरण अक्टूबर, 2010 से अक्टूबर, 2013 के दौरान पूर्ववर्ती सरकारों के कार्यकाल का है। प्रदेश में तब सपा व बसपा की सरकारें थी। बता दें, इन सरकारों के कार्यकाल में जीडीए के महालेखाकार से आडिट की अनुमति नहीं होती थी। योगी आदित्यनाथ की सरकार ने इस ऑडिट को कराने का फैसला किया। प्रदेश सरकार ने फैसला किया है कि महालेखाकार की रिपोर्ट के संदर्भ में विधि व्यवस्था के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
जांच में सामने आया है कि, भू उपयोग परिवर्तन शुल्क लगाए बिना महायोजना में इंगित भू उपयोग में परिवर्तन करके पूर्ववर्ती राज्य सरकारों ने गाजियाबाद विकास प्राधिकरण की लागत पर विकासकर्ताओं को 572.48 करोड़ रुपये का अनुचित लाभ पहुंचाया। लेखा परीक्षा में यह तथ्य उजागर हुआ कि गाजियाबाद विकास प्राधिकरण ने 4722.19 एकड़ भूमि के लिए विकासकर्ताओं की लेआउट योजनाओं को अनुमोदित किया था। इसमें उप्पल चड्ढा हाइटेक डेवलपर्स प्रा.लि. (अक्टूबर, 2010 से अक्टूबर, 2013) के लिए 4004.25 एकड़ तथा सन सिटी हाईटेक इन्फ्रा प्रा.लि (जुलाई, 2011) के लिए 717.94 एकड़ की जमीन शामिल थी।