आम आदमी पार्टी पहुंची सुप्रीम कोर्ट
आप ने मामले में पक्ष बनाए जाने की मांग की
‘आर्थिक असमानता वाले समाज में यह जरूरी’
नेशनल डेस्क: दिल्ली की केजरीवाल सरकार की आम आदमी पार्टी ने चुनाव प्रचार के दौरान मुफ्त की योजनाओं का वादा करने वाले राजनीतिक दलों के खिलाफ एक जनहित याचिका का विरोध कर इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है। पार्टी ने अपनी अर्जी में कहा है कि मुफ्त पानी, मुफ्त बिजली, मुफ्त परिवहन जैसे चुनावी वादे मुफ्त नहीं हैं, क्योंकि ये योजनाएं असमान समाज में बेहद जरूरी हैं। इस दौरान आप पार्टी की ओर से इस मामले में खुद को पक्षकार बनाए जाने की भी मांग करते हुए इस तरह की घोषणाओं को राजनीतिक पार्टियों का लोकतांत्रिक और संवैधानिक अधिकार बताया है।
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तो वहीं, सुप्रीम कोर्ट से अश्विनी उपाध्याय की याचिका में यह मांग की गई है कि, चुनाव प्रचार के दौरान मुफ्त की योजनाओं की घोषणा को मतदाताओं को रिश्वत देने की तरह देखा जा। चुनाव आयोग अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए ऐसी घोषणा करने वाली पार्टी की मान्यता रद्द करे, लेकिन आम आदमी पार्टी का कहना है कि, संविधान के अनुच्छेद 19 (1)(a) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक मौलिक अधिकार है। संविधान में इस अधिकार की कुछ सीमाएं ज़रूर दी गई हैं, लेकिन नेताओं का अपने मंच से लोगों के कल्याण के लिए किसी योजना का वादा करना इस किसी सीमा का उल्लंघन नहीं करता, इसलिए उनके भाषण को इस तरह नियंत्रित नहीं किया जा सकता।
बता दें कि पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एन वी रमना के अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने गैरजरूरी मुफ्त योजनाओं से अर्थव्यवस्था को हो रहे नुकसान पर चिंता जताई थी। राज्यों पर बकाया लाखों करोड़ों रुपए के कर्ज का हवाला देते हुए। सुप्रीम कोर्ट ने मामले के समाधान के लिए एक कमिटी बनाने के संकेत दिए थे। कोर्ट ने मामले से जुड़े पक्षों से इस कमिटी के संभावित सदस्यों के नाम सुझाने के लिए कहा था। मामले की अगली सुनवाई गुरुवार, 11 अगस्त को होनी है।
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