- इतिहास रचने को तैयार ISRO
- पहली बार अंतरिक्ष में प्रक्षेपित करेगा निजी रॉकेट
- राकेट कल यानी शुक्रवार को 11.30 बजे छोड़ा जाएगा
चेन्नई। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) शुक्रवार को इतिहास रचने के लिए पूरी तरह तैयार है जब वह पहली बार निजी रॉकेट अंतरिक्ष में प्रक्षेपित करेगा। भारत की आजादी के 75 साल के सफर में यह एक नया मील का पत्थर साबित होगा। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह इस मौके पर श्रीहरिकोटा में मौजूद रहेंगे और वह विक्रम-सबऑर्बिटल (वीकेएस) के ऐतिहासिक प्रथम निजी प्रक्षेपण के साक्षी होंगे।
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डॉ सिंह ने यहां एक बयान में कहा कि राकेट कल यानी शुक्रवार को 11.30 बजे छोड़ा जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत में स्पेस सेक्टर को दो साल पहले प्राइवेट के लिए खोल दिया था इसके बाद इसरो के सफर में मील का पत्थर होगा। उन्होंने कहा कि गैर-सरकारी संस्था/स्टार्टअप, स्काईरूट एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड (एसएपीएल) ने वीकेएस विकसित किया है। यह रॉकेट सिंगल स्टेज स्पिन स्टेबलाइज्ड सॉलिड प्रोपेलेंट है और लगभग 550 किग्रा भार उठाने में सक्षम है। उन्होंने कहा, रॉकेट अधिकतम 101 किलोमीटर की ऊंचाई तक जायेगा और बाद में समुद्र में बिखर जायेगा।
उड़ान अवधि की केवल 300 सेकंड की होगी। उन्होंने कहा कि रॉकेट लॉन्च करने के लिए इसरो के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने वाला स्काईरूट पहला स्टार्टअप है। देश का पहला निजी प्रक्षेपण होने के साथ ही यह स्काईरूट एयरोस्पेस का पहला मिशन है और इसे प्रारंभ नाम दिया गया है। अंतरिक्ष में यह कुल तीन पेलोड ले जाएगा इनमे एक विदेशी ग्राहक का होगा। यह लागत को नियंत्रण में रखेगा और प्रवेश को बाधित करके कुशल उपग्रह प्रक्षेपण सस्ती और विश्वसनीय सेवाएं उपलब्ध करायेगा। उन्होंने कहा कि स्टार्टअप ने थोड़े समय में ही अंतरिक्ष सुधारों ने नवीन संभावनाओं को उजागर किया है। यहां तक कि कुछ तो तीन-चार साल पहले के अंतरिक्ष स्टार्टअप के आज हमारे पास है।
102 स्टार्ट-अप अंतरिक्ष के अत्याधुनिक क्षेत्रों में काम कर रहे हैं इनमे मलबा प्रबंधन, नैनो-उपग्रह, प्रक्षेपण यान, ग्राउंड सिस्टम, अनुसंधान आदि शामिल है।केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अनुसंधान एवं विकास, शिक्षा के एकीकरण के साथ और उद्योग समान हिस्सेदारी के साथ निजी क्षेत्र के साथ इसरो के नेतृत्व में अंतरिक्ष क्रांति और स्टार्ट-अप क्षितिज पर हैं। उन्होंने कहा किप्रधानमंत्री ने भारत के विज्ञान, प्रौद्योगिकी के लिए सार्वभौमिक मान्यता अर्जित करने के लिए नवाचार क्षमताओं को सक्षम बनाया है और हमारे स्टार्टअप की बहुत मांग है।
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