धर्म डेस्क : शुक्रवार को महालक्ष्मी का दिन माना जाता है। कहते हैं कि लक्ष्मी जी वहीं वास करती हैं। जहां विष्णु की पूजा की जाती है। देवी लक्ष्मी और विष्णु की अर्धांगिनी हैं। जहां विष्णु भगवान का आदर नहीं होता है। उस घर में देवी कभी वास नहीं करती हैं। ऐसे घरों में अलक्ष्मी आती है। दरिद्रता और बीमारियां ऐसे घरों से कभी नहीं जाती हैं। ऐसे घरों को लक्ष्मी नारायण हृदय स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। इस स्तोत्र का महत्व बताते हुए यह कहते हैं कि शुक्रवार की शाम को जो व्यक्ति भगवान की आराधना करता है। उस पर लक्ष्मी और विष्णु की कृपा हमेशा बनी रहती है। श्री लक्ष्मी नारायण स्तोत्र का पाठ करने वाले व्यक्ति पर कभी दरिद्रता नहीं आती है।
श्री लक्ष्मी नारायण स्तोत्र विधि (Laxmi Narayan Stotra Vidhi)
- स्नानादि कर पवित्र हो जाएं। पूजन स्थान को भी साफ करें। गंगाजल से उस स्थान को पवित्र कर लें।
- शुक्रवार की शाम पूजा के लिए एक चौकी लें। उस पर पीले रंग का का कपड़ा बिछाएं।
- चौकी पर कलावा बांधें।
- विष्णु जी की मूर्ति को चौकी पर स्थापित करें।
- उनके मस्तक पर कुमकुम का तिलक लगाएं।
- दीपक जलाएं। मूर्ति पर हार अर्पित करें।
- फूल चढ़ाकर विष्णु जी की ध्यान करें।
- फिर श्री लक्ष्मी नारायण हृदय स्तोत्र पढ़ें।
- इसके बाद आरती जरुर करें।
- विष्णु जी को भोग लगाएं। फिर उस भोग को कुष्ठरोगियों में बांट दें।
- पाठ के बाद जरुरतमंदों को दान दें।