उमर अब्दुल्ला ने ट्विटर पर जम्मू-कश्मीर प्रशासन को भेजा पत्र किया शेयर
पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला अक्टूबर में छोड़ देंगे आधिकारिक आवास
उमर अब्दुल्ला ने कहा – नोटिस नहीं दिया गया, अपनी मर्ज़ी से आवास छोड़ रहा
नेशनल डेस्क: जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मंगलवार को अक्टूबर से पहले श्रीनगर में अपना आधिकारिक आवास छोड़ देंगे को कहा है। उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर जम्मू-कश्मीर प्रशासन को जुलाई में भेजा अपना पत्र साझा किया है। उमर अब्दुल्ला ने अपने ट्वीट में कहा, उन्होंने अपनी मर्ज़ी से आवास छोड़ रहे हैं। इसके लिए कोई नोटिस नहीं दिया गया है।
उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, “जम्मू-कश्मीर प्रशासन को मेरा पत्र, मैं अक्टूबर के अंत से पहले श्रीनगर में अपना सरकारी आवास खाली कर दूंगा। ध्यान देने वाली बात यह है कि पिछले साल मीडिया में रची गई कहानियों के विपरीत मैं अपनी मर्जी से आवास खाली कर रहा हूं.’ इसके साथ ही उन्होंने जम्मू कश्मीर के हॉस्पिटैलिटी एंड प्रोटोकॉल के इंचार्ज ऑफ एस्टेट्स को भेजा गया पत्र भी सांझा किया है।
My letter to the J&K administration. I will be vacating my government accommodation in Srinagar before the end of October. The point to note is that contrary to stories planted in the media last year I received no notice to vacate & have chosen to do so of my own accord. pic.twitter.com/dWjDacVoHn
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) September 9, 2020
इस पत्र में उमर अब्दुल्ला ने कहा है,” 2002 में श्रीनगर के सांसद बनने के बाद श्रीनगर के गुपकर रोड के वीवीआईपी क्षेत्र में उन्हें यह आवास आवंटित(Allot) किया गया था। उन्होंने कहा है कि मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान अक्टूबर 2010 से जनवरी 2015 तक उन्होंने परिसर और उससे जुड़े घरों का इस्तेमाल मुख्यमंत्री के आधिकारिक निवास के रूप में किया था। जब वे कार्यकाल मुक्त हुए तो नियमों के अनुसार, ‘मैं श्रीनगर या जम्मू में सरकारी आवास में रह सकता था और मैंने श्रीनगर में रहना चुना।” उन्होंने लिखा ”कुछ महीने पहले पूर्व मुख्यमंत्रियों के अधिकारों में बदलाव के बाद, अब मेरा यहां प्रवास अनधिकृत हो गया है, क्योंकि सुरक्षा या किसी अन्य आधार पर मेरे आवंटन को नियमित करने का कोई प्रयास नहीं किया गया है। मैं इसे अस्वीकार करता हूं। मेरे पास कभी भी कोई सरकारी संपत्ति नहीं रही है जो मुझे मेरे पद के अनुसार नहीं मिली हो और आगे भी ऐसा करने का मेरा कोई इरादा नहीं है।”