- चाणक्य से जानें कैसे लोग देते हैं धोखा
- क्या धोखेबाज़ व्यक्ति की पहचान
धर्म डेस्क: धोखा, आज के समय ये एक शब्द हो चुका है, जिसे सुनना बहुत आम हो चुका है। खासतौर पर इसका शिकार आज कल की नई पीढ़ी अधिक हो रही है। इसका कारण इनमें वो सूझ बूझ न होना जो प्राचीन समय में हमारे पूर्व जों आदि के पास थीं। मगर आज कल के बच्चे सामने वाला का माईंड नहीं पढ़ पाते, और न ही ये पता कर पाते हैं कि सामने वाला इंसान सच में उनके लिए सही भाव रखता है या नहीं। ऐसे में आज की पीढ़ी को यो बताना बेहद जरूरी है कि कैसे सही गलत की पहचान की जा सकती है।
इससे पहले आप सोच में पड़ जाएं आपको बता दें आचार्य चाणक्य ने आपकी इसकी परेशानी का भी हल अपने नीति सूूत्र में वर्णित किया है। तो चलिए आपको विस्तारपूर्वक बताते हैं इससे संबंधित श्लोक तथा इसके भावार्थ के बारे में। जिससे जानने के बाद आप समझ पाएंगे कि कैसे लोग धोखेबाज़ होते हैं कैसे नहीं।
चाण्क्य नीति श्लोक-
नि:स्पृहो नाधिकारी स्यान्नाकामो मण्डनप्रिय:।
नाऽविदग्ध: प्रियं ब्रूयात् स्पष्टवक्ता न वञ्चक:।।
जो व्यक्ति बिना किसी फल की चाह रखते हुए किसी की मदद करता है ऐसा इंसान कभी किसी को धोखा नहीं देता है। क्योंकि जिस इंसान को कुछ पाने सी लालसा नहीं होती वो हमेशा निस्वार्थ भावना के साथ काम करता है। इसलिए ऐसे लोगों पर भरोसा किया जा सकता है।
जो लोग कभी किसी प्रकार की चौकाचौंध से प्रभावित न हो और आभूषण जैसे शरीर की शोभा बढ़ाने वाली वस्तुओं का त्याग कर दें, ऐसे लोगों पर आंख बंद कर भरोसा किया जा सकता है।
कभी कोई मूर्ख व्यक्ति भी किसी को धोखा नहीं दे सकता, क्योंकि उनके द्वारा किया जाने वाला काम हर तरह के स्वार्थ से परे होता है। वो खुद के भले के बारे में भी नहीं सोच पाता, तो ऐसे में वो किसी और को धोखा देना उनके लिए संभव नहीं होता।
अंत में चाणक्य बताते हैं जो व्यक्ति हमेशा स्पष्ट बात करता है वो व्यक्ति कभी किसी को धोखा नहीं दे सकता। क्योंकि उसे सभी बातें साफ-साफ कहने की आदत होती है। ऐसे लोग अपनी बात रखने से पहले ये नहीं सोचते कि दूसरे लोग उस पर क्या कहेंगे, इसलिए ऐसे व्यक्ति पर पूरी तरह से भरोसा किया जा सकता है।