अब सोनिया-राहुल के रुख का इंतजार
क्लीनचिट के बाद फिर चर्चा में आया अशोक गहलोत का नाम
कांग्रेस का एक वर्ग अभी भी गहलोत के पक्ष में
गहलोत के लिए संभावनाएं अभी बाकी
Congress President Election: राजस्थान में सियासी बवाल पर पार्टी पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को क्लीनचिट दी गई है। राज्य में सियासी संकट के लिए गहलोत को जिम्मेदार नहीं माना गया है। हालांकि पर्यवेक्षकों ने गहलोत के तीन करीबियों पर कार्रवाई की सिफारिश की है। गहलोत के इन तीन करीबियों महेश जोशी, शांति धारीवाल और धर्मेंद्र राठौड़ को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। उन्हें नोटिस का जवाब देने के लिए 10 दिन का समय दिया गया है।
गहलोत को क्लीनचिट मिलने के बाद अब सबकी निगाहें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर टिकी हुई हैं। कांग्रेस अध्यक्ष पद की दौड़ में अब इन दोनों के गहलोत के प्रति रुख का इंतजार किया जा रहा है। राजस्थान में विधायकों के बागी तेवर के बाद गहलोत को अध्यक्ष पद की दौड़ से बाहर मान लिया गया था मगर अब एक बार फिर उनका नाम चर्चाओं में आ गया है। कांग्रेस नेताओं का एक वर्ग अभी भी गहलोत का नाम आगे बढ़ाने में जुटा हुआ है। गहलोता आज दिल्ली पहुंचने वाले हैं और इसके बाद वे नामांकन की आखिरी तारीख तक राजधानी में ही रहेंगे। इस दौरान उनका कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया से मिलने का भी कार्यक्रम है।
कांग्रेस का एक वर्ग अभी भी गहलोत के पक्ष में
कांग्रेस के अध्यक्ष पद के चुनाव में आज का दिन काफी अहम माना जा रहा है और अब सबकी निगाहें गहलोत के दिल्ली दौरे पर लगी हुई हैं। राजस्थान में सियासी बवाल के बाद कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए कई और नेताओं के नाम भी चर्चा में है मगर कांग्रेस का एक बड़ा खेमा भी गहलोत के समर्थन में बताया जा रहा है। गहलोत पहले मंगलवार को अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल करने वाले थे मगर राजस्थान के सियासी बवाल के बाद उन्होंने नामांकन कार्यक्रम टाल दिया था।
राजस्थान में पैदा हुए विवाद के बाद उन्होंने अभी तक नामांकन के संबंध में कोई बयान नहीं दिया है। माना जा रहा है कि वे सोनिया और राहुल के रुख का इंतजार कर रहे हैं। गहलोत ने मंगलवार को भी सोनिया से फोन पर बातचीत की थी और हाईकमान के फैसले को कोई चुनौती न देने की बात कही थी। अब सबकी निगाहें गहलोत की सोनिया गांधी से प्रस्तावित मुलाकात पर टिकी हुई हैं।
गहलोत के लिए संभावनाएं अभी बाकी
राजस्थान के सियासी विवाद के प्रति सोनिया और राहुल की नाराजगी के मद्देनजर गहलोत भी अब काफी फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं। पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट और अपने तीन समर्थकों को कारण बताओ नोटिस जारी किए जाने पर गहलोत ने कोई टिप्पणी नहीं की है। गहलोत समर्थकों को जारी किए गए नोटिस में जवाब के लिए 10 दिन का समय दिया गया है। सियासी जानकारों का मानना है कि यह सबकुछ राजस्थान के सियासी विवाद को टालने और गहलोत के लिए संभावनाएं खुली रखने के लिए ही किया गया है।
गहलोत का नाम कल रात से फिर चर्चाओं में आ गया है। कांग्रेस का एक खेमा अभी भी उनकी वकालत करने में जुटा हुआ है। ऐसे में माना जा रहा है कि पर्यवेक्षकों की ओर से क्लीनचिट दिए जाने के बाद अब गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल कर सकते हैं। गहलोत ने मंगलवार की शाम अपने मंत्रियों और विधायकों के साथ मुलाकात की थी।
हालांकि इस दौरान उन्होंने अपने नामांकन को लेकर कोई बात नहीं कही। गहलोत या उनके प्रतिनिधि की ओर से अभी तक अध्यक्ष पद का नामांकन नहीं लिया गया है। माना जा रहा है कि गहलोत हाईकमान का रुख देखने के बाद इस बाबत आखिरी फैसला लेंगे।
पायलट ने भी दिल्ली में डाला डेरा
राजस्थान की सियासत में गहलावत के विरोधी माने जाने वाले पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने मंगलवार से ही दिल्ली में डेरा डाल रखा है। दिल्ली पहुंचने के बाद पायलट ने कांग्रेस के कई नेताओं से मुलाकात की है। राजस्थान के सियासी विवाद पर पायलट ने अभी तक चुप्पी साध रखी है। अब गहलोत के दिल्ली दौरे पर पहुंचने वाले हैं और माना जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से उनकी मुलाकात के दौरान राजस्थान और कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव को लेकर बड़ा फैसला लिया जा सकता है। राजस्थान विवाद के बाद गुस्से में दिख रही सोनिया का मूड भी पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट के बाद बदला हुआ नजर आ रहा है।
वरिष्ठ नेताओं से मंथन में जुटीं सोनिया
इस बीच सोनिया गांधी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से लगातार मुलाकात करने में जुटी हुई हैं। हाल में उन्होंने मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, मलिकार्जुन खड़गे, अजय माकन और केसी वेणुगोपाल से मुलाकात की है। उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी को भी चर्चा के लिए दिल्ली तलब किया है। कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए नामांकन 30 सितंबर तक ही दाखिल किए जा सकते हैं। इसलिए माना जा रहा है कि आज रात तक उम्मीदवार को लेकर कोई बड़ा फैसला लिया जा सकता है।