- कालाष्टमी के दिन होती है कालभैरव की पूजा
- इनकी आराधना से दूर होता है मन का भय
- जानिए पूज का शुभ मुहूर्त
धर्म डेस्क: प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि कालाष्टमी पर्व मनाया जाता है। धार्मिक शास्त्रों में यह दिन भगवान शंकर के अवतार काल भैरव को समर्पित है। बता दे इस दिन भगवान शंकर के काल भैरव रूप की पूजा के साथ-साथ लोग व्रत आदि भी करते हैं समस्त कालाष्टमी इसे मुख्य रूप से काल भैरव जयंती बनाए जाने की परंपरा है। उत्तर भारत के पंचांग की माने तो यह मार्गशीर्ष माह में पढ़ती है परंतु अगर दक्षिण भारत के पंचांग के अनुसार देखें तो यह कार्तिक मास में आती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन देवों के देव महादेव महाकाल काल भैरव रूप में अवतरित हुए थे जिस के उपलक्ष्य में आज भी काल भैरव जयंती का पर्व मनाया जाता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार काल भैरव जयंती के दिन भगवान शिव के भक्त उनके साथ साथ काल भैरव की विधिवत पूजा करते हैं। तो वहीं प्रत्येक मास में पढ़ने वाली का कालाष्टमी भी अधिक महत्व है। कहा जाता है कि कल की पूजा से व्यक्ति के आसपास की समस्त प्रकार की नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती है,जातक को किसी भी प्रकार का भय नहीं सताता और और आर्थिक तंगी धीरे-धीरे आर्थिक उन्नति में बदलने लगती है।
पौराणिक कथा
सनातन धर्म के ग्रंथों में भगवान काल भैरव के रूप को लेकर जो उल्लेख किया गया है उसके अनुसार इस दिन भगवान शंकर ने समस्त पापियों के नाश के लिए इस ग्रुप पर धारत्र किया था। भगवान शंकर के इस संसार के दरअसल दो रूप विश्व ऐसी हैं जिनमें से एक काल भैरव तथा दूसरा बटुक भैरव के नाम से जाना जाता है। भगवान शिव के यह दोनों और तारों में से काल भैरव रूद्र रूप कहलाते हैं तो वही बटुक भैरव स्वरूप के फैलाते हैं।
पूजन विधि
इस दिन भगवान शंकर के रूप काल भैरव की पूजा करें तथा संभव हो तो उनकी चालीसा का भी पाठ करें। इसके अलावा इसमें कुत्ते को भोजन कराना चाहिए क्योंकि भगवान भैरवनाथ का वाहन कुत्ता माना जाता है उर्मिला इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखें कि इनकी भाषा रात के समय की जाती है। जिससे व्यक्ति की तमाम मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। जो लोग इस दिन व्रत करते हैं उन्हें रात में चंद्रमा को जल देना चाहिए कहते हैं। अगर इस दिन चंद्रमा को जलद़ ना दिया जाए तो पूजा पूर्ण नहीं मान जाती।
कालाष्टमी का समय
आश्विन, कृष्ण अष्टमी
प्रारम्भ – 02:05 ए एम, सितम्बर 10
समाप्त – 03:34 ए एम, सितम्बर 11
इसके अलावा इन मंत्रों से करें काल भैरव की आराधना-
‘ॐ कालभैरवाय नम:।’
‘ॐ भयहरणं च भैरव:।’
‘ॐ भ्रां कालभैरवाय फट्।’
‘ॐ हं षं नं गं कं सं खं महाकाल भैरवाय नम:।’
– ‘ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरू कुरू बटुकाय ह्रीं।’