- इस दिन मनाई जाएगी पितृ पक्ष की अमावस्या
- जानें श्राद्ध पक्ष में नहीं करने चाहिए कौन से काम
धर्म डेस्क: यूं तो हर महीने में आने वाली अमावस्या तिथि का खास महत्व होता है परंतु पितृपक्ष में पढ़ने वाली सर्वपितृ अमावस्या का खासा महत्व माना गया है। कहा जाता है कि अमावस्या तिथि मुख्य रूप से पितरों को ही समर्पित होती है। यही कारण है कि लोग इस दिन रात तो पित्र तर्पण भी करते हैं परंतु सर्वपितृ अमावस्या के दिन किए गए पिंडदान का अधिक महत्व है। कहा जाता है इससे जीवन में सभी कष्ट दूर होते हैं तथा सफलता मिलती है इसके साथ ही यह भी कहा गया है कुछ चीज़ों का दान करना भी महत्वपूर्ण होता है। साथ ही साथ इस दौरान खास नियमों का भी पालन करना होता है। तो चलिए जानते हैं इस किन चीजों का ध्यान रखना चाहिए।
लोक मान्यताएं हैं कि अमावस्या तिथि को घर में कभी भी झाड़ू नहीं लाना चाहिए। इससे धन की देवी लक्ष्मी नाराज हो जाती है। जिससे घर की बरकत चली जाती है पूर्ण मेरा साथी साथ घर के सदस्यों में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ने लगती है।
इस दिन रात करने वाले लोग ब्राह्मणों को भोजन करवाते हैं। वही पित्र तर्पण व पिंडदान जैसे कर्मकांड भी संपन्न करते हैं पूर्वी नाम ऐसे में इन लोगों को अमावस्या के दिन अपने घर में गेहूं या आटा नहीं लाना चाहिए। कहा जाता है कि इस दिन आटा या गेहूं की खरीदारी पितरों के निमित्त होती है।
अमावस्या तिथि को लेकर यह भी मान्यता है कि इस दिन तेल नहीं लगाना चाहिए बल्कि अपनी क्षमता अनुसार तेल का दान करना चाहिए इससे कुंडली में शनि के सुप्रभात बढ़ते हैं वह शनि दोष दूर होता है।
इससे जुड़ी एक मान्यता यह भी है की अमावस्या तिथि के दिन चंद्रमा का का पक्ष परिवर्तन होता है तथा सूर्य की स्थिति बदलती है। इसलिए सकारात्मकता को जीवन में बनाए रखने के लिए इस दिन तेल नहीं लगाना चाहिए कहा जाता है इससे सात्विक बने रहते हैं।
कहा जाता है कि अमावस्या तिथि के दिन यानी पितृपक्ष की सर्वपितृ अमावस्या को घर में किसी भी प्रकार की पूजन सामग्री नहीं लानी चाहिए इसके विपरीत इस दिन पितरों के लिए यानी उनके नाम पर पूजन सामग्री दान करना शुभ वह फलदायी होता है।
धर्म शास्त्रों की बात करें तो मांस मदिरा का सेवन करना कभी भी किसी भी व्यक्ति के लिए अच्छा नहीं माना गया। अमावस्या तथा पूर्णिमा तिथि को लेकर खास तौर पर कहा जाता है किस दिन मांस मदिरा का सेवन करने से बचना चाहिए वरना कुंडली में शनि अशुभ प्रभाव देने लगते हैं वह कष्टों में वृद्धि होती है।