आज कजरी तीज है। भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को यह त्योहार मनाया जाता है। कजरी तीज के व्रत को मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश के बनारस और मिर्जापुर के क्षेत्रों में मनाया जाता है। जबकि मध्य प्रदेश, राजस्थान और बिहार में भी यह व्रत बहुत प्रचलित है। सौभाग्यवती स्त्रियां अपने जीवनसाथी की लम्बी उम्र और समृद्धि की कामना से यह व्रत करती हैं। कुंवारी कन्याएं जल्दी शादी होने की इच्छा से और मनचाहे वर की कामना से यह व्रत करती हैं।
कजरी तीज का महत्व (Kajari Teej Ka Mahatva)
कजरी तीज का व्रत सुहागिन स्त्रियों के लिए बहुत विशेष माना जाता है। इस दिन सुहागिन स्त्रियां भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। साथ ही इस दिन नीमड़ी माता की पूजा का भी खास महत्व है। कजरी तीज का व्रत पति की लम्बी उम्र के लिए रखा जाता है। इस तीज को अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। कजरी तीज को सातूड़ी तीज, बूढ़ी तीज और कजली तीज के नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत पति की लम्बी उम्र और सेहत की कामना से सौभाग्यवती स्त्रियां रखती हैं।
कजरी तीज पूजा विधि (Kajari Teej Puja Vidhi)
इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें। श्रृंगार करें।
नीमड़ी माता को जल, चावल और रोली चढ़ाएं।
दीपक जलाकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें।
घी, गेंहू और मेवा आदि से भोग तैयार करें।
देवी-देवताओं को भोग लगाकर, स्वयं भी व्रत का पारण करें।
कजरी तीज शुभ मुहूर्त – 12:00 पी एम से 12:54 पी एम तक।
कजरी तीज कथा (Kajari Teej Katha)
एक गरीब ब्राह्मण था। उसकी पत्नी ने एक बार कजरी तीज का व्रत किया। घर में भगवान को भोग लगाने लायक भी सत्तू नहीं था। इस पर ब्राह्मणी ने अपने पति से कहा चाहे चोरी करके सत्तू लेकर आओ। लेकिन आज हर हालत में मुझे भगवान को भोग लगाने के लिए सत्तू चाहिए।
ब्राह्मण हालात से मजबूर होकर साहूकार की दुकान में चोरी करने घुस गया। उसने दुकान में जाकर भी केवल भगवान के भोग लायक सत्तू ही चुराया। जब वो दुकान से बाहर आने लगा तब उसे साहूकार के नौकरों ने उसे चोर समझकर पकड़ लिया। साहूकार शोर सुनकर बाहर आया और ब्राह्मण से चोरी की वजह पूछी।
ब्राह्मण ने चोरी की वजह बताई। साथ में चुराया हुआ जरा सा सत्तू भी दिखाया। साहूकार को ब्राह्मण की बात पर यकीन हुआ। उसने सारा वृतांत सुनकर कहा कि वो ब्राह्मणी को अपनी धर्म बहन मानकर धन, गहने और भोजन देगा। इतने सारे धन-धान्य से ब्राह्मण – ब्राह्मणी के दिन सुधर गए।