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धर्म डेस्क: कई बार हम किसी की मदद के लिहाज से उसे उसकी जूता अनुसार धन दे देते हैं। मगर क्या आप जानते हैं कि बिना सोचे समझे यह कार्य करना आपके लिए कितना हानिकारक हो सकता है? जी हां दीदी नीति में महात्मा विदुर ने धन से जुड़े हुए कुछ ऐसे सुझाव दिए हैं जिसके अनुसार किसी भी व्यक्ति को बिना सोचे समझे किसी के भी हाथ में धन नहीं देना चाहिए विदुर जी का मानना है ऐसा करने से व्यक्ति अपना धन खुद ही बर्बाद कर देता है। तो चलिए आपको बताते हैं कि कौन से वह लोग होते हैं जिन्हें कभी भी अपनी धन-संपत्ति नहीं देनी चाहिए।
बता दें महात्मा विदुर महाभारत काल की तमाम प्रमुख पात्रों में से एक थे धृतराष्ट्र के छोटे भाई होने के दर्जे से उन्होंने हस्तिनापुर के हित में कई बड़े फैसले दिए थे।
विदुर नीति श्लोक-
येऽर्थाः स्त्रीषु समायुक्ताः प्रमत्तपतितेषु च।
ये चानार्ये समासक्ताः सर्वे ते संशयं गताः।।
सबसे पहले विधु जी कहते हैं कि कभी भी स्त्री को धन नहीं देना चाहिए। हमेशा पुरुष को अपनी पत्नी की जरूरत की हर वस्तु उसे स्वयं महिला को लाकर देनी चाहिए। विदुर का मानना है कि स्त्री के हाथ में धन देने से पुरुष बर्बादी की कगार पर पहुंच जाता है।
इसके बाद ही तो कहते हैं जिस व्यक्ति में आलस भरा हो उसे भी कभी भी धन नहीं देना चाहिए। ऐसे व्यक्ति अपने आदेश के चलते अपने साथ-साथ दूसरों की धन संपत्ति भी नष्ट कर देते हैं।
किसी पतित व्यक्ति को यानी पापी इंसान को धन देना भी नुकसानदायक होता है क्योंकि ऐसा व्यक्ति पाप करने में रुचि रखता है और सारा धन अपने पाप कर्मों में व्यर्थ कर देता है।
आखिर में अपने श्लोक के माध्यम से महात्मा विदुर ने बताना चाहा है कि किसी अधर्मी पुरुष को भी धन नहीं सौंपना चाहिए। क्योंकि ऐसा व्यक्ति कर्मों से नीच होता है और सारा धन अपने नीच कर्मों में ही लगा देता है। महात्मा विदुर कहते हैं कि ऐसे व्यक्ति को धन देना किसी गंदे नाले में अपना सारा दिन फैंकने के समान होता है।