ओटीटी प्लेटफार्म बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री को प्रभावित कर रहे
रिपोर्ट में ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के उभार
सिंगल स्क्रीन थिएटरों में गिरावट
Entertainment Desk: मनोरंजन जगत खासकर बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री में इन दिनों बवाल मचा हुआ है। बड़े स्टार्स की बड़ी बजट की मूवीज बुरी तरह पिट रही हैं। लाख कोशिशों के बावजूद वे दर्शकों को सिनेमा हॉल तक नहीं खींच पा रहे हैं। हाल के दिनों आमिर खान, सलमान खान, अक्षय कुमार और रणबीर कपूर समेत कई दिग्गज बॉलीवुड स्टार की फिल्में बॉक्स ऑफिस पर पिट गईं। वहीं इसके मुकाबले साउथ की कई फिल्मों ने कमाई का रिकॉर्ड तौड़ दिया है। ऐसे में इंडस्ट्री के अंदर इस बात पर मंथन शुरू हो गया है।
एसबीआई रिसर्च ने भी बॉलीवुड फिल्मों के बॉक्स ऑफिस पर धाराशायी होने को लेकर एक रिपोर्ट जारी किया है। रिपोर्ट में ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के उभार, बॉलीवुड फिल्मों के रेटिंग्स में कमी और सिंगल स्क्रीन की कमी पर बात की गई है और बताया गया है कि ये किस तरह बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री को प्रभावित कर रहे हैं।
IMDB रेटिंग
एसबीआई रिसर्च के रिपोर्ट के मुताबिक, जनवरी 2021 से 43 हिंदी फिल्मों की औसत रेटिंग सिर्फ 5.9 थी, जो 18 हिंदी डब फिल्मों की 7.3 रेटिंग से काफी कम है। एक साधारण प्रतिगमन अभ्यास इंगित करता है कि एक अतिरिक्त IMDB रेटिंग से 17 करोड़ रुपये अधिक संग्रह होते हैं। IMDB रेटिंग भी फिल्मों के मार्केट पर बड़ा असर डालते हैं और ये दर्शकों को सिनेमा हॉल तक खींचने में अहम भूमिका निभाते हैं।
सिंगल स्क्रीन की कमी
सिंगल स्क्रीन थिएटरों में गिरावट आई है और फिल्में अब मल्टीप्लेक्स में रिलीज हो रही हैं। मल्टीप्लेक्स में सिंगल स्क्रीन थिएटर के मुकाबले टिकट की कीमत तीन से चार गुना ज्यादा होती है। महंगे टिकट की कीमतें हिंदी फिल्मों के लिए उच्च मनोरंजन कर के कारण भी हैं। दिलचस्प बात यह है कि 62 प्रतिशत सिंगल स्क्रीन थिएटर दक्षिण भारत में हैं, उत्तर भारत में केवल 16 प्रतिशत की हिस्सेदारी है, इसके बाद पश्चिम में सभी सिंगल स्क्रीन सिनेमा हॉल का 10 प्रतिशत हिस्सा है। यह भी कारण हो सकता है कि दक्षिण भारतीय फिल्में हाल के दिनों में बॉलीवुड फिल्मों के मुकाबले अच्छी कमाई कर रही हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, राज्यों में जनसांख्यिकीय प्रोफ़ाइल फिल्म देखने वालों को प्रभावित कर सकती है। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म एक्शन, हॉरर, ड्रामा, थ्रिलर और कॉमेडी जैसी विभिन्न शैलियों के साथ आते हैं। मिलेनियल्स इन प्लेटफार्मों का अधिक उपयोग उन शैलियों को देखने के लिए करते हैं जिन्हें वे सबसे अधिक पसंद करते हैं। इसलिए वो अब थिएयर की रूख कम करते हैं। वहीं साउथ इंडिया में नार्थ इंडिया के मुकाबले बुजुर्ग आबादी अधिक है, जो अभी भी ओटीटी प्लेटफॉर्म की बजाय सिनेमाघरों में फिल्म देखना अधिक पसंद करते हैं।
ओटीटी प्लेटफॉर्म्स का उदय
एसबीआई रिसर्च के मुताबिक, ओटीटी में वृद्धि से सिनेमाघरों के दर्शकों और मुनाफे पर असर पड़ने की उम्मीद है, क्योंकि 50 प्रतिशत से अधिक लोग एक महीने में 5 घंटे से अधिक ओटीटी का उपयोग करते हैं। साथ ही स्मार्ट टीवी, क्रोमकास्ट जैसे विकल्पों ने मनोरंजन के पारंपरिक तरीके को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। इन विकासों ने घर पर मूवी थियेटर अनुभव लाने में मदद की है। पहले नए फिल्मों को देखने के लिए सिनेमाघरों का रूख करना ही पड़ता था लेकिन आज दर्शकों के सामने काफी विकल्प हैं, जो उन्हें थिएटरों की ओर जाने से रोकते हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय मनोरंजन उद्योग के लिए ओटीटी प्लेटफॉर्म्स का उदय किसी खतरे की घंटी से कम नहीं है। ये लगातार अपने फूटप्रिंट को बढ़ा रहा है। रिपोर्टों के अनुसार, भारत में 45 करोड़ ओटीटी ग्राहक हैं और इसके 2023 के अंत तक 50 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है।